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इंसुलेटर पंक्चर, रातभर बिजली गुल
दुमका. महारो से दुमका पावर सब स्टेशन तक बिजली की आपूर्ति बीती रात प्रभावित रही. इसका असर दोपहर तक रहा. रात में बूंदाबांदी बारिश के बीच महारो ग्रिड से दुमका को पहुंचने वाले सप्लाई लाइन के तीन इंसुलेटर पंक्चर हो गये. इससे शहर के अधिकांश हिस्से में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो गयी. कुछ हिस्सों में […]
दुमका. महारो से दुमका पावर सब स्टेशन तक बिजली की आपूर्ति बीती रात प्रभावित रही. इसका असर दोपहर तक रहा. रात में बूंदाबांदी बारिश के बीच महारो ग्रिड से दुमका को पहुंचने वाले सप्लाई लाइन के तीन इंसुलेटर पंक्चर हो गये.
इससे शहर के अधिकांश हिस्से में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो गयी. कुछ हिस्सों में रात के 11 बजे बिजली की आपूर्ति बहाल हुई. तो कुछ हिस्सों में सुबह के 8 बजे. थोड़े-बहुत हिस्से में दोपहर बाद बिजली पूर्णरुपेण बहाल हो सकी. हालांकि उसके बाद भी आंख मिचौनी का खेल बरकरार रहा. रातभर बिजली गुल रहने से लोगों को सुबह-सुबह मोटर न चला पाने की वजह से पेयजल संकट से जूझना पड़ा.
अरहर व सरसों को बारिश से होगा नुकसान
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ श्रीकांत सिंह ने बताया कि ऐसी बारिश से धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. जो काटे जाने के बाद सूखने के लिए खेत में ही पड़ी हुई थी.
खेत में पानी जमा रहने से ये फसल भींग चुके होंगे. ऐसी उपज के साथ-साथ पुआल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. डॉ सिंह ने बताया कि जिन किसानों ने धान की फसल नहीं काटी है. वे उसे धूप निकलने तक खेत में ही रहने दें. उन्होंने बताया कि इस बारिश से रबी में गेहूं वचना के साथ-साथ सब्जी को लाभ मिलेगा, पर अरहर में फलीछेदक और सरसों में लाही का प्रकोप होगा. बेमौसम हुई बारिश से जिले के किसान खासे परेशान है. वहीं गेहूं की बुआई में भी परेशानी हो रही है.
पिछले दो दिनों से हुई रिमझिम बारिश ने दुमका जिले के किसानों के लिए परेशानी पैदा कर दी है. अभी भी 30 से 35 प्रतिशत खेतों में ही धान की फसल है. इसमें कई की फसल तो काट कर वहीं रखी हुई है, जो दो दिनों में भींग चुकी है. खलिहानों में भी झड़ाई के लिए रखे गये धान बारिश में भींग गये है. ऐसे धान के भींगने से न सिर्फ उसमें निकलने वाले चावल की गुणवत्ता ही प्रभावित होगी, बल्कि पुआल भी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है.
सूखे पुआल के पानी में भीगने से दुर्गंध आ जाती है. पशु चारा संकट का भी खतरा बना रहता है. काठीकुंड के किसान रमेश सोरेन व जामा के सरसाबाद के लखन मुर्मू ने बताया कि इस बारिश से बहुत परेशानी हुई. बारिश से काट कर रखी गयी धान भींग गयी है. अब धूप निकलने का इंतजार कर रहे हैं. धूप निकलने में जितना विलंब होगा, उपज की गुणवत्ता प्रभावित होगी.
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