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रूस ने चीन की क्षेत्रीय सड़क परियोजनाओं में भारत की भागीदारी पर जोर दिया

नयी दिल्ली : रूस ने चीन की वन बेल्ट वन रोड ( ओबीओआर) पहल में भारत के शामिल होने पर जोर दिया है. रूस ने उम्मीद जतायी कि भारत ने इस बारे में जो मुद्दे उठाये हैं उनका त्याग किये बिना भी वह इस वृहद क्षेत्रीय सड़क संपर्क परियोजना का लाभ उठाने का कोई न […]

नयी दिल्ली : रूस ने चीन की वन बेल्ट वन रोड ( ओबीओआर) पहल में भारत के शामिल होने पर जोर दिया है. रूस ने उम्मीद जतायी कि भारत ने इस बारे में जो मुद्दे उठाये हैं उनका त्याग किये बिना भी वह इस वृहद क्षेत्रीय सड़क संपर्क परियोजना का लाभ उठाने का कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा.

रूस के विदेश मंत्री सेर्गी लावरोव ने यहां एक शोध संस्थान द्वारा आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में गुटीय तरीकों एशिया प्रशांत क्षेत्र में मजबूत सुरक्षा ढांचा हासिल नहीं किया जा सकता. उनकी इस बात को इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चार देशों अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया की गुटबंदी के प्रति रूस के विरोध के रूप में देखा जा रहा है. क्षेत्रीय मुद्दों पर रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने न केवल भारत-चीन के बीच रिश्तों में सुधार की बात की है, बल्कि भारत के पाकिस्तान के साथ भी रिश्तों में सुधार की बात की है.

रूस के विदेश मंत्री लावरोव, भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच सोमवार को 15वीं रूस-भारत-चीन (आरआइसी) की त्रिपक्षीय बैठक हुई जिसमें कि विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया. ओबोर पर लावरोव ने कहा कि रूस का मानना है कि यह अवधारणा काफी रोचक है. इस पर गहन क्षेत्रीय व्यापार और निवेश के लिए सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाने के संदर्भ में विचार किया जाना चाहिए. इस योजना पर भारत के विरोध के बारे में उन्होंने कहा, इस मामले में जो खास तरह की समस्या है उसे राजनीतिक मतभेदों के समाधान के लिए अन्य हर अन्य बात को को सशर्त नहीं बनाया चाहिए.

भारत चीन की एक क्षेत्र एक सड़क ओबीओआर परियोजना का यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि यह मुद्दा उसकी संप्रभुता को प्रभावित करता है. यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जेवाली कश्मीर क्षेत्र से होकर गुजरती है जिसपर भारत अपना दावा करता है. चीन की 50 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरीडोर परियोजना ओबोर का हिस्सा है. लोवरोव ने कहा कि करीब-करीब सभी मध्य एशियाई देश ओबोर योजना में सहयोग के लिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर चुके हैं, जबकि रूस और यूरेशिया आर्थिक संघ के अन्य सदस्यों ने उसके साथ आर्थिक सहयोग समझौता किया है. उन्होंने संकेत दिया कि इस प्रक्रिया से अब पीछे नहीं हटा जा सकता.

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