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नागरिकता बिलः आज राज्यसभा में NDA की अग्निपरीक्षा, कहीं फंस न जाए पेंच, समझें पूरा गणित

नयी दिल्लीः भारी शोर-शराबे के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में आसानी से पास हो गया और अब मोदी सरकार इसेआज राज्यसभा में पेश करेगी.लोकसभा में वोटिंग पैटर्न को देखते हुए मोदी सरकार की राज्यसभा में राह आसान मानी जा रही है. मगर वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा के लिए ये […]

नयी दिल्लीः भारी शोर-शराबे के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में आसानी से पास हो गया और अब मोदी सरकार इसेआज राज्यसभा में पेश करेगी.लोकसभा में वोटिंग पैटर्न को देखते हुए मोदी सरकार की राज्यसभा में राह आसान मानी जा रही है. मगर वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा के लिए ये राह आसान नहीं होगी. संसद के ऊपरी सदन यानी राज्य सभा का गणित दूसरा है. सरकार राज्यसभा में अल्पमत में है, ऐसे में नंबर गेम अहम हो गया है.
बीजेपी को उम्मीद है कि सरकार जिस तरह तीन तलाक विधेयक और आर्टिकल 370 हटाने को निष्प्रभावी करने वाले विधेयक को राज्यसभा से पास करवाने में सफल रही थी, उसी रणनीति और गणित के जरिए नागरिकता संशोधन बिल पर भी मुहर लगवा दी जाएगी. बता दें कि एनडीए को नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा से पारित कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा 121 है. आइए समझते हैं राज्यसभा का क्या है गणित…
एनडीए की ताकत पर एक नजर
एनडीए के सबसे बड़े दल बीजेपी के राज्यसभा में 83 सांसद हैं. वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडी(यू) के 6 सांसद हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये हैं कि बिहार की नीतीश कुमार की पार्टी ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है. इसके अलावा, एनडीए में शिरोमणी अकाली दल के तीन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के एक जबकि अन्य दलों के 13 सदस्य हैं.
इस तरह एनडीए गठबंधन के अपने 106 राज्यसभा सांसद हैं. यहां यह भी बता दें कि जेडीयू ने लोकसभा में भले बिल का साथ दिया, लेकिन पार्टी में इसको लेकर दो स्वर हैं. जेडीयू नेता प्रशांत किशोर इसके खिलाफ खड़े हैं.शिवसेना का भी यह हाल है.
यूपीए की ताकत पर एक नजर
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में कांग्रेस के सबसे ज्यादा 46 सांसद हैं. वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और शरद पवार की एनसीपी के चार-चार सांसद हैं. इनके अलावा डीएमके के अपने पांच सांसद है जबकि अन्य यूपीए सहयोगियों के तीन सांसद हैं. यानी, यूपीए के कुल 62 राज्यसभा सांसद हैं.
यूपीए को इनसे मिल रही ताकत!
कुछ पार्टियां ऐसी हैं जो न एनडीए में शामिल हैं और न ही यूपीए में. हालांकि, विचारधारा के स्तर पर इन पार्टियों का रुख समय-समय पर साफ होता रहता है. जो पार्टियां किसी भी गठबंधन से परे हैं, उनमें राज्यसभा सांसदों के मामले में सबसे बड़ी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) है जिनके 13 सांसद हैं. ठीक इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (एसपी) के नौ, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की टीआरएस के छह, सीपीएम के पांच, मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के चार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के तीन सांसद हैं.
इनके अलावा, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के दो, सीपीआई और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) यानी का भी एक सांसद है. इन्हें मिलाकर आंकड़ा 44 सांसदों का होता है. ऐसा माना जा रहा है कि ये सभी सिटिजनशिप बिल का विरोध करेंगे.
तो..ये करेंगे भाजपा का बेड़ा पार
एनडीए और यूपीए, दोनों में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनने वाले कुछ और भी दल हैं जो बिल के समर्थन में दिख रहे हैं. इनमें तमिलनाडु की एआईएडीएमके के 11, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के 7, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 2 और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के 2 सांसद हैं.
इनके अलावा, हाल में बीजेपी से नाता तोड़ एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के तीन सांसद हैं जो भाजपा के पक्ष में वोटिंग करेंगे. हालांकि संजय राउत का बयान आय़ा है कि वो राज्यसभा में वोट सपोर्ट नहीं करेंगे. पार्टी ने लोकसभा में भी बिल का समर्थन किया है. साथ ही, तीन और सांसदों के बिल के समर्थन में खड़ा होने की उम्मीद है. इन सबको मिला दिया जाए तो कुल आंकड़ा 28 सांसदों तक पहुंचता है.
12 नामित सांसदों का वोटकिसे मिलेगा?
राज्यसभा में 12 नामित सदस्य होते हैं. इन 12 नॉमिनेटेड सदस्यों में से आठ भाजपा में शामिल हो गए हैं जबकि चार सदस्य अब भी नॉमिनेटड कैटिगरी में ही हैं. इस कैटिगरी से तीन सदस्य एनडीए के पक्ष में जबकि बाकी एक सांसद यूपीए के पक्ष में वोटिंग करेंगे, ऐसा तय है. यहां यह भी बता दें कि राज्यसभा में पांच सीट रिकत है.

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