आधी बच गयी थी घरारी की जमीन, खा रहा था दर-दर की ठोकरें
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जमीन बेच लॉटरी खेल गया था शंभु
आधी बच गयी थी घरारी की जमीन, खा रहा था दर-दर की ठोकरें पत्नी व बच्चों ने तोड़ लिया थारिश्ता, हत्या की देता था धमकी मोतिहारी : शहर के बेलबनवा मछुआ टोली का रहने वाला पत्नी का हत्यारा शंभु सहनी घरारी की आधी जमीन बेच लॉटरी खेल गया था. उसके सिर पर लॉटरी खेलने का […]
पत्नी व बच्चों ने तोड़ लिया थारिश्ता, हत्या की देता था धमकी
मोतिहारी : शहर के बेलबनवा मछुआ टोली का रहने वाला पत्नी का हत्यारा शंभु सहनी घरारी की आधी जमीन बेच लॉटरी खेल गया था. उसके सिर पर लॉटरी खेलने का नशा इस कदर सवार था कि परिवार के भरन-पोषण की चिंता नहीं थी. पत्नी रामावती कमाने के लिए कहती तो उसे मारने दौड़ता था. पति के निकम्मेपन से तंग रामावती बच्चों की परिवरिश के लिए मजदूरी करने लगी. वह दिन-रात मेहनत करती और शंभु लॉटरी खेलने में मशगूल रहता था.
इसको लेकर धीरे-धीरे दोनों के बीच रिश्ता बिगड़ते चला गया. एक ही आंगन में रामावती बच्चों को लेकर अलग रहती थी, जबकि एक छोटी सी झोपड़ी में शंभु गुजर-बसर करता था. आस-पड़ोस के लोगों का कहना था कि पिछले दस वर्षों से पति-पत्नी अलग रहते थे. मछुआ टोली से रविवार को दो बारात निकली थी.
रामावती का बड़ा पुत्र विकास के अलावे अधिकांश नौजवान बरात गये थे. मुहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ था. रामावती खाना खा मवेशी को दाना देकर गंवास में सोने चली गयी. उसके ठीक सामने छोटी से झोपड़ी में शंभु सोया हुआ था. सन्नाटे का फायदा उठा आधी रात को उसने गड़ासी से काट पत्नी को मौत के घाट उतार दिया.
सूखा था नाद, खामोश थे मवेशी, कौन देता उन्हें चारा : रामावती के पास तीन-चार गाय व उसके बछड़े थे.उसके दाना-पानी के लिए वह इधर-उधर घूम घास काटते रहती, ताकि उनका पेट भर सके.मवेशी के भर पेट चारा पर ही उसके परिवार का दाना-पानी टीका हुआ था,लेकिन सोमवार सुबह का नजारा कुछ और ही था.
मवेशी खूंटा में बंधे तो थे, लेकिन नाद में चारा-पानी नहीं था. नाद सुखा हुआ था. दोपहर तक भूख से बिलबिलाते मवेशी एक दम खामोश थे. ऐसा लग रहा था कि उनकी निगाहे अपनी मालिकन को ढूंढ रही है. घर में लाश पड़ा हुआ था. ऐसे में सूखे नाद व बेजुबान जानवरों पर किसी की नजर नहीं जा रही थी.
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