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जसौलीपट्टी में रचा गया था भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का ताना-बाना

कोटवा : जिले के कोटवा प्रखंड स्थित ऐतिहासिक गांव जसौलीपट्टी में ही भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का ताना-बाना बुना गया. चंपारण सत्याग्रह के पुरोधा किसान नेता बाबू लोमराज सिंह के अदम्य साहस, आशा , जुझारूपन के कारण ही पीपरा व तुरकौलिया की नीलही कोठियों के हजारों-हजार किसान अत्याचार, अनाचार और शोषण के विरुद्ध आंदोलन पर उतर […]

कोटवा : जिले के कोटवा प्रखंड स्थित ऐतिहासिक गांव जसौलीपट्टी में ही भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का ताना-बाना बुना गया. चंपारण सत्याग्रह के पुरोधा किसान नेता बाबू लोमराज सिंह के अदम्य साहस, आशा , जुझारूपन के कारण ही पीपरा व तुरकौलिया की नीलही कोठियों के हजारों-हजार किसान अत्याचार, अनाचार और शोषण के विरुद्ध आंदोलन पर उतर गये थे. लोमराज सिंह जगीरहां कोठी के जमादार थे.
नीलहों द्वारा किसान व मजदूरों के साथ अत्याचार होता को देख लोमराज सिंह ने नीलहों की नौकरी को लात मार दी थी.
बेबस व शोषित किसानों की आवाज को शोला बनाने का अवसर तलाश रहे थे. इसके लिए वे शक्ति संग्रह व लोक विश्वास जुटाने में लग गये और अंग्रेजों के खिलाफ किसानों को संगठित कर आंदोलन का बिगुल बजा दिया. उस कड़ी में 10 अप्रैल 1917 को बापू राजकुमार शुक्ला के साथ कोलकाता से पटना पहुंचे. राजेंद्र बाबू उस समय पटना के बड़े नामी वकील थे, उनके निवास पर गये. राजेंद्र बाबू उस समय पुरी गये थे.
उनके नौकर ने बापू को आवास पर ठहरने नहीं दिया तो गांधी लंदन के मित्र व पटना के नामी बैरिस्टर व गवर्नर काउंसिल के सदस्य मजहरूल हक को सूचना दी और एक पत्र मगनलाल को लिखा. इसमें चंपारण यात्रा को स्थगित करने का कारण का उल्लेख किया.
सूचना पाकर मजहरूल हक खुद अपनी मोटरगाड़ी से गांधी को ले जाने पहुंचे और अपने आवास पर ले गये. उस समय चंपारण के किसान पटना के बांकीपुर में गांधी को ले जाने को पहुंचे थे.
गांधी द्वारा चंपारण यात्रा स्थगित करने के निर्णय की सूचना लोमराज सिंह को दी गयी. लोमराज सिंह ने गांधी से मिल कर अपनी समस्या बतायी. बापू ने लोमराज सिंह की बात सुनी और आग्रह को स्वीकार किया. पुन: अपने विचार को बदला और चंपारण आने के लिए तैयार हो गये.
अगले दिन मुजफ्फरपुर पहुंचे और दो दिन ठहरने के बाद 15 अप्रैल को मुजफ्फरपुर से रेल से मोतिहारी के लिए चले. तीन बजे मोतिहारी स्टेशन पर उतरे. 16 अप्रैल 1917 को लोमराज सिंह द्वारा भेजे गये हाथी पर सवार होकर जसौली पट्टी यात्रा की, जहां पर नीलहों द्वारा किसान आंदोलन को कुचलने के लिए उनके साथ दमनात्मक कार्रवाई की गयी थी. गांधी के लिए उस समय चंपारण में ऐसी भूमि व जगह की तलाश थी, जहां वे सत्य का सफल प्रयोग कर सके. बापू ने जसौली का महत्व समझा और पीड़ित किसानों का बयान लेखन यहीं से करा कर पूरे हिंदुस्तान की आजादी की रुपरेखा तैयार की.
गांधी के जसौली यात्रा से नीलहों के ही नहीं जिला प्रशासन व तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के कान खड़े हो गये और उनके भ्रमण पर प्रतिबंध लगाते हुए तत्कालीन कलक्टर मि हैकॉक ने उन्हें जिला छोड़ने का आदेश दिया. गांधी भी अपनी धुन के पक्के थे तो दूसरी ओर उनके सहयोगी बाबू लोमराज सिंह अपने इरादे को मजबूत रखे हुए थे. दोनों की हिम्मत के आगे सरकारी प्रतिबंध भी बेअसर रहा.
16 अप्रैल 1917 को धारा 144 के तहत चंपारण छोड़ने के आदेश को गांधी ने ठुकरा दिया. 17 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होकर अपना पक्ष रख 18 अप्रैल को एसडीओ कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई हुई और 20 अप्रैल को गांधी पर लगा आरोप वापस हुआ और चंपारण के किसानों से मिलने की छूट मिली. 16-20 अप्रैल तक घटी घटना ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की चिनगारी को शोला बना दिया और अंतत: अंग्रजों को भारत छोड़ना पड़ा. आजादी के 68 वर्ष बाद भी चंपारण सत्याग्रह के नायक लोमराज सिंह का जसौली गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.
चंपारण सत्याग्रह दिवस आज से, तैयारी पूरी
कोटवा : चंपारण में महात्मा गांधी के आगमन की याद में 16-17 अप्रैल को मनाये जानेवाले चंपारण सत्याग्रह स्मृति दिवस समारोह की तैयारी पूरी कर ली गयी है़ पिछले 14 सालों से यह केंद्रीय समारोह कोटवा प्रखंड के जसौली पट्टी में आयोजित होता आ रहा है़ समारोह के महासचिव सह बीडीओ मोहम्मद सज्जाद ने बताया कि समारोह में बड़ी संख्या में गांधी प्रेमी भाग ले रहे है़ जिले के पदाधिकारियों में प्रभारी जिलाधिकारी भरत दूबे, एसपी सुनील कुमार, डीडीसी अनिल कुमार चौधरी, एएसपी अभियान राजीव कुमार, सीआररपीएफ कमांडेट बी भूरिया, सदर एसडीओ ज्ञानेंद्र कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी रामनंदन प्रसाद आदि आमंत्रित है़
वहीं गांधीवादियों में गुजरात के साबरमती आश्रम से सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महादेव विद्रोही, सहरसा से बिहार सवरेदय मंडल के अध्यक्ष त्रिभुवन नारायण सिंह, आरा से सर्व सेवा संघ के मंत्री विजय कुमार, गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेंद्र कुमार, गांधी संग्रहालय मोतिहारी के सचिव ब्रजकिशोर सिंह, एमएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ उपेंद्र कुंअर, पूर्व प्राचार्य डॉ रामप्रवेश शर्मा, नाटककार प्रसाद रत्नेश्वर आदि समारोह की शोभा बढ़ायेंग़े दोनों दिन जसौली पट्टी के शालिक सिंह मध्य विद्यालय में चंपारण सत्याग्रह में गांधी व बाबू लोमराज सिंह के योगदान पर विचार गोष्ठी आयोजित करने के साथ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व राज्य स्तरीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा़

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