कहा : पश्चिम बंगाल के लिए और दो मंत्री पद की जरूरत
Advertisement
संगठन का काम करने में मेरी ज्यादा रुचि : दिलीप
कहा : पश्चिम बंगाल के लिए और दो मंत्री पद की जरूरत कोलकाता : पश्चिम बंगाल में उम्मीद से परे नतीजों को देने वाली प्रदेश भाजपा और उसके प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था. लोगों को उम्मीद थी कि जिस तरह से केंद्रीय नेतृत्व पश्चिम बंगाल पर ध्यान दे रहा […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में उम्मीद से परे नतीजों को देने वाली प्रदेश भाजपा और उसके प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था. लोगों को उम्मीद थी कि जिस तरह से केंद्रीय नेतृत्व पश्चिम बंगाल पर ध्यान दे रहा है, उसको देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को कैबिनेट में जगह मिलेगी, क्योंकि बिहार व उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्षों को मंत्री पद से नवाजा गया है. हकीकत में ऐसा नहीं हुआ.
18 सांसदों के बावजूद प्रदेश भाजपा के खाते में महज दो राज्य मंत्री के पद आये. बंगाल की उपेक्षा के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए दिलीप घोष ने अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा कि वह शुरू से कहते आ रहे हैं कि उनके लिए संगठन की जिम्मेवारी महत्वपूर्ण है और वह संगठन का ही काम करने में रुचि रखते हैं, क्योंकि बंगाल दखल का लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ है. इस बात से केंद्रीय नेतृत्व वाकिफ हैं, हालांकि पश्चिम बंगाल के लिए और दो मंत्री पद की जरूरत है. अभी वक्त है शायद उसमें इस कमी को दूर किया जाये. हालांकि उन्होंने इस बात से संगठन के महामंत्री रामलाल को अवगत करा दिया है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रति भाजपा गंभीर है. इस बात का प्रमाण अमित शाह के रवैये से लगाया जा सकता है. बंगाल के सांसदों के प्रति वह इतना गंभीर हैं कि उनके स्वागत में वह दरवाजे पर खड़े थे. उल्लेखनीय है कि दिलीप घोष के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा के संगठन और जनसंर्पक में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
पहली बार खड़गपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए दिलीप घोष ने कांग्रेस के दिग्गज सोहनपाल सिंह को हराया था. इसके बाद वह लगातार जिलावार दौरा करते हुए संगठन को मजबूत करते रहे. पार्टी ने उनको लोकसभा में उम्मीदवार बनाया तो वह जीत कर संसद भी पहुंचे. इस तरह का संगठन व जनसंर्पक रखने वाले दिलीप घोष को मंत्री बनाने को लेकर किसी को कोई शक नहीं था.
जब उनसे पूछा गया कि उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मंत्री बन सकते हैं तो आपको क्यों नहीं बनाया गया तो मुस्कुराते हुए दिलीप घोष ने जवाब दिया कि पार्टी ने मुझे योग्य नहीं समझा, इसलिए नहीं बनाया. इसके साथ ही उन्होंने कहा, केंद्रीय नेतृत्व को पता है, मैं 2019 में राज्य से तृणमूल हाफ और 2021 में साफ का लक्ष्य लेकर चल रहा हूं. ऐसे में जब उनसे पूछा गया कि आपका सपना प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का है तो वह मुस्कुरा कर रह गये.
दिलीप घोष से जब पूछा गया कि जिस तरह से अन्य पार्टी के लोगों को भाजपा में शामिल कराया जा रहा है, उससे भाजपा के लोगों में नाराजगी है. जवाब में उन्होंने कहा कि यह रणनीति का एक हिस्सा है. दूसरे दलों के लोगों को नहीं लिया जायेगा तो पार्टी कैसे बढ़ेगी. पार्टी सत्ता में कैसे आयेगी. कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग आ रहे हैं, उनका किस तरह से उपयोग करना है इस बात को वह लोग बखूबी जानते हैं. पार्टी के संगठन में वही लोग रहेंगे जो पार्टी के हैं.
Advertisement