कोलकाता : राज्य में बड़ो मां (बड़ी मां) के नाम से लोकप्रिय मतुआ समुदाय की गुरु मां वीनापाणि देवी का उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जायेगा. परिवार के एक सदस्य ने यह जानकारी दी. 100 वर्षीया बड़ो मां का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को यहां सरकारी अस्पताल में निधन हो गया था.
बड़ो मां का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार आज
कोलकाता : राज्य में बड़ो मां (बड़ी मां) के नाम से लोकप्रिय मतुआ समुदाय की गुरु मां वीनापाणि देवी का उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जायेगा. परिवार के एक सदस्य ने यह जानकारी दी. 100 वर्षीया बड़ो मां का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार […]
बुधवार को उनके पार्थिव शरीर को ठाकुरनगर लाया गया. वीनापाणि देवी की बड़ी बहू और तृणमूल कांग्रेस सांसद ममता बाला ठाकुर ने बुधवार शाम को ठाकुरनगर में पत्रकारों को बताया कि बड़ो मां का राजकीय सम्मान के साथ गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जायेगा. उन्होंने कहा कि उनके परिजनों और लाखों अनुयायियों, जो अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते थे, की इच्छा पर यह फैसला लिया गया.
पहले बुधवार शाम को बड़ो मां के अंतिम संस्कार का निर्णय लिया गया था. इससे पहले दिन में फूलों की शय्या पर चिरनिद्रा में लीन बड़ो मां के पार्थिव शरीर को एसएसकेएम अस्पताल से लाया गया. उनके साथ में राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और तृणमूल कांग्रेस की सांसद ममता बाला ठाकुर भी थीं. ठाकुरनगर समुदाय के संगठन ‘मतुआ महासंघ’ का मुख्यालय है.
बड़ो मां के अंतिम दर्शन के लिए रातभर अस्पताल में अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्यों का तांता लगा रहा. रात करीब आठ बजकर 52 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को वीनापाणि देवी के निधन पर शोक जताया. वीनापाणि देवी को राज्य में एक अहम राजनीतिक ताकत माना जाता था. मोदी ने इसी साल फरवरी में ठाकुरनगर के अपने दौरे के दौरान बड़ी मां से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) एक रैली को भी संबोधित किया था.
सुश्री बनर्जी ने घोषणा की है कि बड़ो मां का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा. मतुआ समुदाय मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब के बांग्लादेश) से है और धार्मिक अत्याचार के चलते वर्ष 1950 के दशक में वे पलायन कर पश्चिम बंगाल पहुंचना शुरू हुआ. राज्य में मतुआ समुदाय के लोगों की करीब 30 लाख आबादी रहती है और उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना जिलों में ये कम से कम पांच लोकसभा सीटों के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.
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