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कोलकाता के अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबेल

बंगाल के लिए गर्व का दिन रहा सोमवार : अर्थशास्त्र में नोबेल के साथ मिला बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद का तोहफा भी सोमवार बंगाल के लिए गर्व का दिन रहा. कोलकाता में पले-बढ़े और शिक्षा ग्रहण करने वाले अभिजीत विनायक बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को सोमवार को संयुक्त […]

बंगाल के लिए गर्व का दिन रहा सोमवार : अर्थशास्त्र में नोबेल के साथ मिला बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद का तोहफा भी

सोमवार बंगाल के लिए गर्व का दिन रहा. कोलकाता में पले-बढ़े और शिक्षा ग्रहण करने वाले अभिजीत विनायक बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को सोमवार को संयुक्त रूप से 2019 के लिये अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार विजेता घोषित किया गया है.
अभिजीत साउथ प्वाइंट स्कूल और प्रेसिडेंसी कॉलेज (अब विश्वविद्यालय) के विद्यार्थी रहे हैं. 21 साल बाद किसी भारतीय अर्थशास्त्री को यह सम्मान मिली है़ अभिजीत बनर्जी से पहले 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल मिला था, 2014 में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल मिला है.
उधर, कोलकाता के ही भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली का भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) का अध्यक्ष बनना तय है. दिग्गज क्रिकेट प्रशासकों की मौजूदगी में गांगुुली ने सोमवार को मुंबई में बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया. उनके मुकाबले में अन्य कोई उम्मीदवार नहीं हैं. 23 अक्तूबर को औपचारिक घोषणा की जायेगी.
स्टॉकहोम : भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (58) को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है. उनके साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो (47) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रो माइकल क्रेमर (54) को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है. 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया.
अभिजीत से पहले, 1998 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को यह सम्मान दिया गया था. बनर्जी व डुफ्लो अमेरिका की प्रतिष्ठित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं, जबकि क्रेमर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विकासशील समाज के गेस्ट प्रोफेसर हैं. तीनों अर्थशास्त्रियों को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिये’ के लिए पुरस्कार दिया गया है. राॅयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस के मुताबिक अभिजीत के रिसर्च की बदौलत भारत में 50 लाख बच्चे गरीबी रेखा से बाहर आये.
स्वास्थ्य सेवाओं में सब्सिडी देने संबंधी सुझाव से कई देशों के गरीबों को राहत मिली.अभिजीत का जन्म कोलकाता में हुआ. उनके पिता प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे. मां निर्मला सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं. अभिजीत बनर्जी ने प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. अर्थशास्त्र में एमए के लिए जेएनयू गये. साल 1988 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की.
अर्थशास्त्र पर लगातार लेख लिखने वाले अभिजीत बनर्जी ने चार किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताब पुअर इकनॉमिक्स को गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब भी मिला. अभिजीत ने दो डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी सेवाएं दी हैं. अभिजीत और उनकी पत्नी डुफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) के को-फाउंडर भी हैं. बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं. दोनों ने गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में बंधन बैंक के साथ काम किया है.

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