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गन्ना किसानों के बकाये की वजह से सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क बढाकर 40 प्रतिशत करने को दी मंजूरी

नयी दिल्ली : मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया बढकर 21,000 करोड रुपये तक पहुंच जाने से चिंतित सरकार ने आज चीनी पर आयात शुल्क मौजूदा 25 प्रतिशत से बढाकर 40 प्रतिशत करने और एथनॉल पर उत्पाद शुल्क समाप्त करने का फैसला किया ताकि मिलों पर किसानों के बढते बकाये को निपटाने में मदद मिल […]

नयी दिल्ली : मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया बढकर 21,000 करोड रुपये तक पहुंच जाने से चिंतित सरकार ने आज चीनी पर आयात शुल्क मौजूदा 25 प्रतिशत से बढाकर 40 प्रतिशत करने और एथनॉल पर उत्पाद शुल्क समाप्त करने का फैसला किया ताकि मिलों पर किसानों के बढते बकाये को निपटाने में मदद मिल सके.

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिये गये. यहां जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, खुले सामान्य लाइसेंस के तहत चीनी आयात पर शुल्क मौजूदा 25 प्रतिशत से बढाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है.
इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम और नीचे गिरने की स्थिति में आयात से बचा जा सकेगा. सरकार ने इसके साथ ही मिलावट के लिये आपूर्ति किये जाने वाले एथनॉल पर उत्पाद शुल्क को भी हटाने का फैसला किया है. वर्तमान में इसपर 12.36 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाता है.
वक्तव्य में कहा गया है, अगले चीनी सत्र में मिलावट के लिये भेजे जाने वाले मोलासिस से निकलने वाले एथनॉल को उत्पाद शुल्क से छूट होगी. इसपर मिलने वाला मूल्य लाभ चीनी मिलों, डिस्टलरीज को दिया जायेगा.
सरकार ने कहा है कि इन कदमों से चीनी में मूल्य सबंधी प्रतिकूल धारणा में बदलाव आयेगा चीनी उद्योग में नकदी प्रवाह में सुधार होगा. इससे अंतत: किसानों के गन्ने के बकाया का भुगतान करने में मदद मिलेगी. गन्ना बकाया संकट से निपटने के लिये इस महीने की शुरुआत में खाद्य मंत्री रामविलास पासवान की किसानों और मुख्य मंत्रियों के साथ दो अलग अलग बैठकें हुईं.
नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग को उबारने के लिये सरकार ने पिछले साल अगस्त में कच्ची और रिफाइंड दोनों तरह की चीनी पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से बढाकर 25 प्रतिशत कर दिया था. इस साल फरवरी में केंद्र ने 14 लाख टन कच्ची चीनी निर्यात के लिये प्रति टन 4,000 रुपये सब्सिडी भी उपलब्ध कराई.
पिछले चार साल के दौरान देश में अतिरिक्त चीनी उत्पादन होने की वजह से चीनी के दाम दबाव में हैं. इससे चीनी मिलों के पास नकदी की तंगी बनी हुई है और वह किसानों से खरीदे गये गन्ने का भुगतान करने की समस्या में घिर गई हैं.
विज्ञप्ति में कहा गया है, इस स्थिति की वजह से पांच करोड गन्ना किसानों की आय प्रभावित हुई है. वैश्विक बाजार में भी चीनी के दाम नीचे बने हुये हैं. 31 मार्च 2015 की स्थिति के अनुसार किसानों का 20,099 करोड रुपये का गन्ने का चीनी मिलों पर बकाया है.
चीनी आयात शुल्क बढाने और एथनॉल पर उत्पाद शुल्क समापत करने के साथ ही सरकार ने शुल्क मुक्त आयात अधिकार योजना (डीएफआईए) को भी वापस ले लिया है. इसके तहत चीनी निर्यातकों को अनुमति प्राप्त कच्ची चीनी की मात्रा को बिना शुल्क आयात करने और उसका प्रसंस्करण कर निर्यात करने की अनुमति थी. योजना के किसी भी तरह के दुरपयोग को रोकने के लिये योजना को वापस ले लिया गया है.

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