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उद्धव ठाकरे: बाल ठाकरे के साथ और उनके बाद कैसे निखरे

<figure> <img alt="उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/170C3/production/_109630449_ee3b73c9-9c64-4ef6-829b-271137e8cf79.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>2003 में शिवसेना के पार्टी सम्मेलन में राज ठाकरे ने ख़ुद उद्धव ठाकरे का नाम पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया था. इसी के साथ इस बात की आधिकारिक घोषणा हो गई थी कि उद्धव ठाकरे ही बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी […]

<figure> <img alt="उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/170C3/production/_109630449_ee3b73c9-9c64-4ef6-829b-271137e8cf79.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>2003 में शिवसेना के पार्टी सम्मेलन में राज ठाकरे ने ख़ुद उद्धव ठाकरे का नाम पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया था. इसी के साथ इस बात की आधिकारिक घोषणा हो गई थी कि उद्धव ठाकरे ही बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे. </p><p>1996-97 का साल था. राज ठाकरे तब बैडमिंटन खेलने दादर जाया करते थे. बाद में उन्होंने अपने दादू उद्धव ठाकरे को भी खेलने के लिए बुलाया. खेलते हुए एक दिन, उद्धव ठाकरे गिर गए, और इसे देख राज और उनके कुछ दोस्तों को हंसी आ गई. इस घटना के बाद उद्धव ने वहाँ जाना बंद कर दिया.</p><p>सबको लगा उन्होंने बैडमिंटन खेलना बंद कर दिया. लेकिनि उद्धव ने प्रैक्टिस के लिए एक और कोर्ट बुक किया, और उसी कोच को बुलाया जो राज ठाकरे को कोचिंग देते थे. </p><p>कुछ वक़्त के बाद, उस कोच ने कहा कि उद्धव अब इतना अच्छा खेलने लगे हैं कि वो किसी भी अनुभवी बैडमिंटन खिलाड़ी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.</p><p>ये उदाहरण शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की राजनीति के तरीक़े पर भी लागू होता है. शिवसेना ने गवर्नर से मुलाक़ात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया. </p><p>अगर कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी को बाहर से समर्थन देती है, तो शिवसेना अपने एक नेता को मुख्यमंत्री की गद्दी दिलवा सकती है, और जैसा कि चर्चा चल रही है, उस नेता का नाम हो सकता है – उद्धव ठाकरे.</p><p>आइए एक नज़र डालते हैं उद्धव ठाकरे के सियासी सफ़र पर.</p><figure> <img alt="राज ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/445F/production/_109630571_fadcfc97-c15e-45fa-9bde-1a15fc2b9e1d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>’द ठाकरे कज़न्स’ नाम की किताब लिखने वाले धवल कुलकर्णी उद्धव ठाकरे के शुरूआती दिनों के बारे में कहते हैं, &quot;उद्धव ठाकरे 90 के दशक में राजनीति में आए जब शिव सेना ने 1985 में मुंबई महानगरपालिका का चुनाव जीता. उस चुनाव में शिव सेना के अभियान में उद्धव ठाकरे ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन उस वक़्त वो सीधे-सीधे राजनीति में नहीं उतरे थे. &quot;</p><p>&quot;1991 में शिशिर शिंदे ने शिव सेना के मुलुंद ऑफ़िस में एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे. वो कार्यक्रम ही राजनीति में उद्धव का औपचारिक पदार्पण था. &quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48543215?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राम मंदिर पर BJP से भी ज़्यादा उतावली क्यों है शिवसेना?</a></p><h3>भाइयों की अनबन</h3><p>1991 के दिसंबर में नागपुर में बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ एक प्रदर्शन हुआ जिसकी अगुआई राज ठाकरे कर रहे थे.</p><p>धवल कुलकर्णी कहते हैं, &quot;सारी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन रैली के एक दिन पहले रात को मातोश्री से एक कॉल आया. कहा गया कि उनके साथ दादू (उद्धव ठाकरे) भी रैली में भाषण देंगे. राज ठाकरे इससे भड़क उठे और फिर दोनों भाइयों के बीच मतभेद बढ़ता चला गया.&quot;</p><p>उन दिनों शिव सेना के भीतर राज ठाकरे काफ़ी लोकप्रिय थे. लेकिन उनके आक्रामक तेवरों से कई बार लोगों को ठेस भी लगती थी. तो शिव सेना के कुछ अनुभवी नेताओं ने बाल ठाकरे को सुझाव दिया कि वो उद्धव को आगे करें.</p><p>इसी दौरान राज ठाकरे का नाम रमेश किनी मर्डर केस में आ गया और कुछ समय के लिए वो राजनीति में हाशिए पर चले गए.</p><p>पत्रकार दिनेश दुखंदे कहते हैं, &quot;राज ठाकरे से रमेश किनी मर्डर केस में सीबीआई ने पूछताछ की. उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला. मगर इस दौर में शिव सेना संकट में चली गई. राज को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ी. किनी केस की वजह से राज ठाकरे राजनीति में पाँच साल तक हाशिए पर चले गए.&quot;</p><p>इसी मुक़ाम पर, उद्धव ठाकरे खुलकर राजनीति में उतरे. उन्होंने 1997 के मुंबई महानगरपालिका के चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई. उसके बाद बाल ठाकरे ने 2002 के मुंबई महानगरपालिका की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से उद्धव को सौंप दी. ऐसा कहा जाता है कि उस चुनाव में राज ठाकरे के समर्थकों को टिकट नहीं दिया गया.</p><p>उसके बाद भी राज ठाकरे के क़रीबी लोगों को किनारे रखने का सिलसिला जारी रहा. 2003 की जनवरी में, ये साफ़ हो गया कि शिव सेना के अगले वारिस उद्धव ठाकरे ही होंगे.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50378575?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र में बीजेपी जीतकर भी कैसे हार गई?</a></p><h3>जब उद्धव ठाकरे के हाथ आई पार्टी की बागडोर </h3><p>जनवरी 2003 में शिव सेना का पार्टी सम्मेलन महाबलेश्वर में आयोजित किया गया था. सम्मेलन के आख़िरी दिन बाल ठाकरे की अनुपस्थिति में राज ने ख़ुद उद्धव का नाम पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया. इसी के साथ इस बात की आधिकारिक घोषणा हो गई कि उद्धव ठाकरे ही बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे. </p><figure> <img alt="बाल ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/8A4B/production/_109630453_96cdc98a-f160-4617-9f1a-47ed7f449221.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>&quot;शिवसेना के महाबलेश्वर में हुए सम्मेलन में उद्धव ठाकरे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इसके बाद नारायण राणे ने यह महसूस कर लिया कि उद्धव उन्हें पार्टी में आगे नहीं बढ़ने देंगे इसलिए राणे ने शिव सेना तुरंत छोड़ दी. साल 2006 में राज ठाकरे भी पार्टी से अलग हो गए और उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई. &quot;</p><p>कुलकर्णी कहते हैं, &quot;शिव सेना से इन दोनों नेताओं के अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे को मुंबई नगरपालिका पर सत्ता बनाए रखने और विधायकों को एकजुट रखने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. लेकिन उद्धव ने इसपर सफलता पाई. उन्होंने दिखा दिया कि वे पार्टी को एकजुट रख सकते हैं.&quot;</p><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/122A3/production/_109630447_17787d3e-de7e-4ad2-8f7a-f007e76b0b3e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50281067?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सीएम पद शिवसेना का अधिकार, लेने का तरीका भी मालूम: संजय राउत</a></p><p><strong>उम्दा </strong><strong>संयोजक हैं उद्धव लेकिन राजनीतिक</strong><strong>-</strong><strong>सामाजिक समझ में है कमी </strong></p><p>कुलकर्णी कहते हैं, &quot;उद्धव ठाकरे की पार्टी पर पकड़ बहुत मज़बूत है. 2014 में मोदी लहर होने के बावजूद विधानसभा चुनाव में उद्धव के नेतृत्व में शिव सेना ने 63 सीटें जीतीं थी.&quot; </p><p>वरिष्ठ पत्रकार विजय चोरमारे कहते हैं, &quot;उद्धव की पार्टी पर मज़बूत पकड़ होने के बावजूद उनकी राजनीतिक-सामाजिक समझ बहुत गहरी नहीं हैं. वो किसी भी मुद्दे पर विश्लेषण नहीं करते. उनका व्यवहार बहुत खुला हुआ नहीं है. कुछ मुद्दों पर एक राय देते हुए वह मीडिया को हेडलाइन तो दे देते हैं लेकिन अगर हम थोड़ा भी ध्यान से देखें तो वो जो बातें करते हैं वो पर्याप्त नहीं लगती हैं. &quot;</p><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/3C2B/production/_109630451_04cc66b4-71a4-40a5-9131-162b01145545.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>कांग्रेस नेता जैसी छवि</h3><p>उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के बारे में धवल कुलकर्णी कहते हैं, &quot;उद्धव ठाकरे का व्यक्तित्व कांग्रेस पार्टी के नेताओं जैसा है. उन्होंनें शिवशक्ति-भीमशक्ति का गठन करके गठबंधन की राजनीति भी करने की कोशिश की और मी मुंबईकर जैसे अभियान शुरू किए. उनका व्यक्तित्व राज ठाकरे की तरह आक्रामक नहीं है लेकिन उद्धव ने किसानों की क़र्ज़ माफ़ी और मज़दूरों की अन्य समस्याओं के मुद्दों को उठाया जिस पर शिव सेना और एमएनएस ने कभी ध्यान नहीं दिया.&quot;</p><p>विजय चोमारे कहते हैं, &quot;एक नेता के रूप में उद्धव ठाकरे आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं. सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ही तरह अगर कोई उद्धव ठाकरे से मिलना चाहता है तो बिना किसी संपर्क के ये मुलाक़ात मुश्किल है.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50362166?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राम मंदिर आंदोलन के वो चेहरे जिन्हें आप भूल तो नहीं गए?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49962629?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी के साथ शिवसेना का समझौता सत्ता के लिए: उद्धव ठाकरे</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50261247?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’अगर शिवसेना ठान ले तो सरकार बनाने के लिए बहुमत मिल जाएंगे'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50168538?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनावः सीएम पद को लेकर शिवसेना-बीजेपी आमने सामने?</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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