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बिहार मे लू नहीं बनती जानलेवा अगर सरकार ये कदम उठाती: नज़रिया

<figure> <img alt="बिहार में लू का कहर" src="https://c.files.bbci.co.uk/3CC4/production/_107465551_gettyimages-1148140937.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>देश भर में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है. लू की वजह से लोगों की जान जा रही है. </h3><p>बिहार में अकेले गया ज़िले में लू के चलते सैंकड़ों लोगों के मरने की बात कही जा रही है. </p><p>यह पहली दफा नहीं है […]

<figure> <img alt="बिहार में लू का कहर" src="https://c.files.bbci.co.uk/3CC4/production/_107465551_gettyimages-1148140937.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>देश भर में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है. लू की वजह से लोगों की जान जा रही है. </h3><p>बिहार में अकेले गया ज़िले में लू के चलते सैंकड़ों लोगों के मरने की बात कही जा रही है. </p><p>यह पहली दफा नहीं है जब लू ने लोगों की बड़ी संख्या में जान ली हो, पिछले 20 से 25 सालों में करीब 25 से 30 हज़ार लोगों की मौत लू के कारण हुई है.</p><p>इस आंकड़े को सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि लू से अधिकतर मौतें अस्पतालों में नहीं होती हैं.</p><p>जिस तरह गर्मी बढ़ रही है, लोगों की मौत हो रही है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बड़ी होती जा रही है, तो यह ज़रूरी हो जाता है कि अब हम अपने देश में इसके लिए तैयार रहें और इसे एक आपदा समझा जाए.</p><p>अगर हम इसे प्राकृतिक आपदा मानेंगे तो हम इससे लोगों को बचाने के उपाय करेंगे. सरकार इस पर एक बजट ला सकती है और योजना और नीतियां बनाई जा सकती हैं.</p><p>अगर ऐसा होता है तो सैंकड़ों की संख्या हो रही मौतों को कम किया जा सकता है.</p><p>अब सवाल यह उठाया जा सकता है कि लू को प्राकृतिक आपदा घोषित करने से क्या होगा?</p><p>इसका जवाब यह हो सकता है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अगर लू को अगर प्राकृतिक आपदा माना जाता है तो इससे बचने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा सकेंगे.</p><p>लोगों को जागरूक करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, जैसे बाढ़ और तूफान जैसी स्थितियों से निपटने के लिए बनाई जाती हैं.</p><p>इतना ही नहीं, केंद्र और राज्य सरकार लू की स्थिति से निपटने के लिए संसाधनों की भी व्यवस्था करेगी. केंद्र और राज्य सरकार आपदा प्रबंधन के लिए विशेष बजट की घोषणा करती है और इस बजट का इस्तेमाल लू से लोगों को बचाने के लिए किया जा सकेगा.</p><figure> <img alt="बिहार में लू का कहर" src="https://c.files.bbci.co.uk/8AE4/production/_107465553_nc5adidv.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi/bbc</footer> </figure><h1>’हीट कोड’ लाने की ज़रूरत</h1><p>यह भी सवाल उठाया जा सकता है कि प्राकृतिक आपदा घोषित किए जाने के अलावा लू से बचने का कोई और उपाय नहीं निकाला जा सकता है क्या?</p><p>तो मैं कहूंगा कि लू को प्राकृतिक आपदा घोषित करना पहला कदम होगा. एक बार सरकार ने इसे प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया तो आगे और कई क़दम उठाए जा सकते हैं.</p><p>दूसरी बात मैं यह मानता हूं कि हिंदुस्तान में ‘हीट कोड’ लाने की ज़रूरत है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अभी जिस तरह से लू को परिभाषित करता है उसमें सिर्फ़ तापमान को ही आधार माना जाता है.</p><p>लेकिन बहुत जगहों पर ख़ासकर तटीय इलाक़ों में यह देखा गया है कि आद्रता और तापमान को मिला दिया जाए, लू का प्रभाव और भी बढ़ जाता है.</p><p>ऐसे में अगर ‘हीट कोड’ लाया जाता है तो लू को किस तरह से आपदा घोषित किया जाएगा, यह अच्छी तरह परिभाषित किया जा सकेगा.</p><p>देश के अलग-अलग भागों में लू के लिए अलग-अलग मानक तय किए जा सकेंगे.</p><p>इसके अलावा ‘हीट एक्शन प्लान’ बनाया जा सकता है.</p><figure> <img alt="बिहार में लू का कहर" src="https://c.files.bbci.co.uk/D904/production/_107465555_cvvl34bv.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi/bbc</footer> </figure><p><strong>क्या होगा </strong><strong>फ़ायदा</strong><strong>?</strong></p><p>याद कीजिए हर तूफ़ान से पहले सरकार लोगों को अलर्ट करती है. तूफ़ान आने से पहले ही उसकी तीव्रता क्या होगी, यह पता होता है. ऐसे में लोगों को तटीय इलाक़ों से हटा कर सुरक्षित जगहों पर भेजा जाता है.</p><p>अब बिहार का ही मामला ले लीजिए, लू के सैकड़ों लोगों की जान चली गई है. गया ज़िले में धारा 144 लागू कर दिया गया है.</p><p>इतनी संख्या में मौतें इसलिए हुई हैं क्योंकि बिहार के पास इससे बचने के लिए कोई व्यवस्था पहसे से नहीं थी. सरकार लोगों को पहले से सतर्क नहीं कर सकी कि लू आने वाली है.</p><p>अगर बिहार के पास ‘हीट कोड’ होता और जैसे ही तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पूर्वानुमान होता तो लोगों को एसएमएस भेज कर सूचित किया जा सकता था.</p><p>सरकार लोगों को सलाह दे सकती थी कि लू आने वाला है, दोपहर और तेज़ धूप में घर से बाहर न निकलें.</p><p>यह सिर्फ़ बिहार का ही मामला नहीं है, देश के लगभग राज्य इससे निपटने के लिए तैयार नहीं है.</p><figure> <img alt="बिहार में लू का कहर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12724/production/_107465557_1v3yl7px.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi/bbc</footer> </figure><h1>एजेंडे में शामिल हो मुद्दा</h1><p>एक बात और है जो सरकार और लोगों को समझनी होगी कि पर्यावरण को अब एक अहम मुद्दा समझा जाए.</p><p>बीते लोकसभा चुनावों में भी पार्टियों ने पर्यावरण पर किसी तरह की कोई बात नहीं की. यह उनके एजेंडे में शामिल नहीं था.</p><p>इतनी संख्या में हो रही मौतों को देखते हुए यह ज़रूरी है कि पर्यावरण के मुद्दे को मुख्य एजेंडा में शामिल किया जाए. </p><p>देश में वायु और जल प्रदूषण की गंभीर समस्या है. जलवायु परिवर्तन बहुत तेज़ी से हो रहा है. ऐसे में हम हाथ पर हाथ रख कर बैठ नहीं सकते हैं और सभी को मिल कर इस समस्या का समाधान सोचना चाहिए.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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