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आख़िर क्यों वायरल हो रही है इस मां की FB पोस्ट ?

<p>सीबीएसई बोर्ड के दसवीं के नतीजों ने इस बार सबको हैरत में डाला. 13 विद्यार्थियों अव्वल आए. पांच सौ में से 499 नंबर के साथ. </p><p>इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि इन घरों में उस दिन माहौल ही कुछ और रहा होगा. </p><p>बधाई देने वालों का तांता लगा होगा. मीडिया वाले इंटरव्यू […]

<p>सीबीएसई बोर्ड के दसवीं के नतीजों ने इस बार सबको हैरत में डाला. 13 विद्यार्थियों अव्वल आए. पांच सौ में से 499 नंबर के साथ. </p><p>इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि इन घरों में उस दिन माहौल ही कुछ और रहा होगा. </p><p>बधाई देने वालों का तांता लगा होगा. मीडिया वाले इंटरव्यू लेने पहुंचे होंगे और मां-बाप गर्व से सबको बता रहे होंगे कि मेरे बच्चे ने टॉप किया है. लेकिन क्या आप उस घर के माहौल का अंदाज़ा लगा सकते हैं, जहां बच्चा 60% के साथ पास हुआ हो….?</p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/851439101884149/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/851439101884149/</a></p><p>कुछ लोग कह सकते हैं कि बेचारे मां-बाप… बच्चे का भविष्य क्या होगा…कैसे सर्वाइव करेगा…</p><p>लेकिन हर मां-बाप ऐसा नहीं सोचते. उनके लिए उनका बच्चा मायने रखता है ना की नंबर. ऐसी ही एक मां हैं वंदना सूफ़िया कटोच.</p><p>दिल्ली के ईस्ट ऑफ़ कैलाश में रहने वाली वंदना उन अभिभावकों में से हैं जो ये मानती हैं कि बच्चे की प्रतिभा नंबर से तय नहीं होती. वंदना के बेटे आमिर ने इसी साल दसवीं की परीक्षा पास की है लेकिन साठ फ़ीसदी नंबरों के साथ. </p><p><strong>सोशल मीडिया पर वायरल हो गया वंदना का पोस्ट </strong></p><p>आज कल के समय में जबकि ज़्यादातर बच्चों के नंबर 80-90 फ़ीसदी ही आ रहे हैं तो ऐसा कम होता है कि बच्चा साठ फ़ीसदी नंबरों के साथ पास हो तो मां-बाप उसे गर्व से सबको बताएं लेकिन वंदना ने इसे अपने फ़ेसबुक पर शेयर किया. </p><p>उन्होंने लिखा &quot;मेरे बच्चे मुझे तुम पर गर्व है. तुमने दसवीं में 60 पर्सेंट हासिल किए हैं. हालांकि ये 90 फ़ीसदी नहीं है लेकिन इस बात से तुम्हारे प्रति मेरी भावनाओं में कोई अंतर नहीं आएगा. क्योंकि मैंने तुम्हारे संघर्ष को बेहद क़रीब से देखा है. जिन कुछ विषयों में तुम्हें दिक़्कत थी और तुम बस हार मानने वाले थे लेकिन बस डेढ़ महीने पहले तुमने एक दिन तय किया कि तुम हार नहीं मानोगे. और देखा तुमने… &quot;</p><p>वंदना का ये पोस्ट कुछ ही घंटों में वायरल हो गया और लोग उन्हें बधाई देने लग गए. हालांकि कुछ ऐसे कमेंट्स भी आए जिसमें लोगों ने उन पर और आमेर पर सवाल भी उठाए. लोगों ने लिखा कि जो मेहनत डेढ़ महीने में हो सकी वही साल भर करते तो ऐसा नहीं होता.</p><p>इस पर वंदना का कहना है कि आमतौर पर लोगों को लगता है कि नंबर नहीं आए मतबल बच्चे ने अय्याशी की होगी सालभर, लेकिन यही वजह हो ज़रूरी नहीं.</p><p>वो कहती हैं &quot;हर बच्चा एक जैसा नहीं होता तो सबके साथ एक जैसी वजह भी हो, ज़रूरी नहीं.&quot; </p><p><strong>कितना मुश्किल था ये सब</strong><strong>?</strong></p><p>वंदना बताती हैं कि ये बहुत मुश्किल सफर रहा. ना सिर्फ़ आमिर के लिए बल्कि ख़ुद उनके लिए भी. </p><p>&quot;मैं ख़ुद कई बार परेशान हो जाती थी. रोना भी आता था लेकिन हमने तय किया कि हम रुकेंगे नहीं. छोटे-छोटे हिस्से बांटे. सब्जेक्ट तय किये और मेहनत छोड़ी नहीं.&quot;</p><p>लेकिन जब दूसरों के बच्चों के नंबरों के बारे में पता चला तो कैसा लगा?</p><p>इस सवाल के जवाब में वंदना कहती हैं कि मैंने कभी भी तुलना नहीं की. हां ये सही है कि नब्बे पर्सेंट आते तो बात अलग होती लेकिन मैं ये जानती हूं कि मेरे बच्चे की ख़ासियत नंबर लाना नहीं, बल्कि कुछ और है. </p><p><strong>दूसरे अभिभावकों से क्या कहना चाहेंगी</strong><strong>?</strong></p><p>वंदना बताती हैं कि उन्हें उस वक़्त बड़ी हैरानी होती है जब वो 97-98 पर्सेंट वाले बच्चों और उनके साथ मां-बाप को भी रोते हुए देखती हैं.</p><p>&quot;बच्चे का रोना तो फिर भी इसलिए सम आती है कि वो प्रेशर में होता है लेकिन मां-बाप का रोना… समझ नहीं आता. कम से कम उन्हें तो बड़ों की तरह व्यवहार करना चाहिए.&quot;</p><p>वंदना मानती हैं कि मां-बाप को बच्चों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए. वो अपनी खुशी को बच्चों के नंबर से जोड़ देते हैं लेकिन ऐसा करना सही नहीं है.</p><p>वो कहती हैं &quot;आपको खुश करना बच्चे की ज़िम्मेदारी नहीं है. आप अपनी खुशियों का बोझ उस पर मत डालिए वरना बच्चा वो भी करना भूल जाएगा जो वो करना चाहता है और जिसमें वो वाकई अच्छा है.&quot;</p><p>पर क्या कम नंबरों के साथ सर्वाइव कर पाना संभव है?</p><p>इस पर वंदना कहती हैं, सफलता के मायने सबके लिए अलग होते हैं. ज़रूरी तो नहीं कि जो लाखों कमाए वही कामयाब हो…और मेरा बेटा अपने लिए कुछ कर लेगा…ये यक़ीन है और उसके लिए नंबर ज़रूरी नहीं.</p><p>वंदना खुद भी एक बिजनेस वमुन हैं. वो क्लेग्राउंड कम्युनिकेशन नामक कंपनी का फाउंडर हैं. उनका आमेर से बड़ा भी एक बेटा है जो फिलहाल कॉलेज में पढ़ रहा है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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