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मक्के में दाने की कमी की आम शिकायत 40 प्रतिशत फसल हो सकती है प्रभावित

जिले के 40 हजार 265 हेक्टेयर में हुई है मक्का की खेती अररिया : मौसम की मार ने जिले के किसानों को बदहाली के कगार तक पहुंचा दिया है. पहले खरीफ की फसल भीषण बाढ़ की भेंट चढ़ गयी, तो कड़ाके की ठंड ने आलू सहित दलहनी खेती को बुरी तरह प्रभावित किया. जिले के […]

जिले के 40 हजार 265 हेक्टेयर में हुई है मक्का की खेती

अररिया : मौसम की मार ने जिले के किसानों को बदहाली के कगार तक पहुंचा दिया है. पहले खरीफ की फसल भीषण बाढ़ की भेंट चढ़ गयी, तो कड़ाके की ठंड ने आलू सहित दलहनी खेती को बुरी तरह प्रभावित किया. जिले के किसान इन आफत से उबरने की कोशिश ही कर रहे थे कि जिले भर से मक्का की फसल में दाना नहीं लगने की शिकायतें सामने आने लगी है. इससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहराने लगी है. मक्का की फसल में दाना नहीं लगने की शिकायत अररिया, रानीगंज, जोकीहाट, नरपतगंज सहित अन्य प्रखंडों से प्राप्त हो रहे हैं.
किसानों की शिकायत है कि मकई के भुट्टे में दाना की संख्या काफी कम है. साथ में कई भुट्टे में बिल्कुल ही दाना नहीं लगने की शिकायत मिल रही है. क्षेत्र में लगी मक्का की फसल का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा इससे प्रभावित होने की बातें सामने आ रही है.
40 हजार 265 हेक्टेयर में हुई है रबी मक्का की खेती
बीते कुछ सालों में मक्का की खेती का रकबा जिले में लगातार बढ़ा है. बेहतर पैदावार और अच्छे दाम मिलने के कारण किसान इसकी खेती में दिलचस्पी लेने लगे हैं. इस बार जिले के 40 हजार 265 हेक्टेयर कृषि भूमि पर मक्का का आच्छादन किया गया है. जानकारी मुताबिक रानीगंज प्रखंड के पहुंसरा, अररिया प्रखंड के बटूरबाड़ी, दियारी, नरपतगंज के लक्ष्मीपुर सहित जोकीहाट के कई हिस्सों से मक्का के फसल में दाना नहीं आने की शिकायत प्राप्त हो चुकी है. किसानों की मानें तो प्रति एकड़ मक्का की खेती में 20 हजार की लागत आती. जो किसी अन्य फसल में आने वाली लागत से अधिक है. ऐसे में अगर किसानों मक्का की फसल भी दगा देती है. तो पहले से कर्ज में डूबे जिले के किसानों की मुश्किलें ओर बढ़ सकती है.
फसल खराब होने के कारणों की जांच में जुटे कृषि वैज्ञानिक
प्रभावित इलाकों की जांच कर लौटे कृषि वैज्ञानिक मक्का की फसल में दाना नहीं आने के पीछे के कारणों की जांच कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक औसत से अधिक ठंड फसल खराब होने की एक वजह हो सकता है. जानकारों के अनुसार मक्का की खेती के लिए 6 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है. इस बार ठंड ज्यादा पड़ने के कारण अक्तूबर व नवंबर माह में लगाये गये मक्का की फसल कुछ हद तक प्रभावित हो सकती है. वैज्ञानिकों ठंड के पॉलिनेशन की प्रक्रिया प्रभावित होने से फसल में दाना नहीं आने की शिकायत हो सकती है.
इसके इतर वैज्ञानिकों का तर्क है कि ठंड के मौसम में जिले का औसत तापमान में मामूली गिरावट दर्ज की गयी. इससे व्यापक स्तर पर फसल के प्रभावित होने की संभावना काफी कम है. इसलिए इसके पीछे के दूसरे कारणों की पड़ताल भी जरूरी है.
पुराने वेराइटी के बीजों का इस्तेमाल से बचें किसान : कृषि वैज्ञानिक
मक्का के फसल प्रभावित होने के पीछे पुराने वैराइटी के बीजों के उपयोग को भी एक वजह माना जा रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ जावेद इदरिश की मानें तो अधिकांश शिकायत पुराने वैराइटी के बीजों के उपयोग वाली जगह से ही आ रहे हैं. उन्होंने पुराने वैराइटी के बीजों के उपयोग से बचने की सलाह किसानों को दी. उन्होंने कहा कि बाजार में नये वैराइटी के अच्छे बीज उपलब्ध हैं. किसानों को पुराने वैराइटी के बीजों से अपने मोह को त्यागना होगा.
भूभाग पर लगे प्रभावित किसान जरूरी मदद के लिए जिला कृषि विभाग की तरफ टकटकी लगाये हैं. विशेषज्ञाकृषि वैज्ञानिकों का दल प्रभावित इलाके पहुंच कर दाना नहीं आने के कारणों की पड़ताल कर रहे हैं. इधर लगातार मौसम की मार झेल रहे किसानों के सामने भूखमरी की नौबत खड़ी हो गयी है.

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