एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों से कुछ अध्यायों और अंशों को हटाने की कड़ी निंदा की. उन्होंने इसको लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, इतिहास मिटाया नहीं जा सकता.
शाहजहां, अकबर, हुमायू्ं या जहांगीर को कैसे भूल सकते हैं?
एनसी चीफ फारुख अब्दुल्ला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, इतिहास मिटाया नहीं जा सकता. आप शाहजहां, अकबर, हुमायू्ं या जहांगीर को कैसे भूल सकते हैं? 800 वर्षों के शासन (मुगलों द्वारा) के दौरान, किसी भी हिंदू, ईसाई या सिख को कभी भी खतरा महसूस नहीं हुआ. लाल किला, हुमायूं का मकबरा कैसे छुपाएं? उन्होंने कहा, केंद्र सरकार अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार रही है. फारुख ने आगे कहा, तारीख मिट नहीं सकती. आप कितना इसको किताबों से निकालेंगे?
क्या है विवाद
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘महात्मा गांधी की मौत का देश में साम्पद्रायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू कट्टरपंथियों को उकसाया,’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध सहित कई पाठ्य अंश नहीं हैं. यही नहीं इतिहास की पाठ्यपुस्तक से मुगल साम्राज्य के कुछ अंश भी हटाये गये. जिसके बाद लगातार विरोध हो रहा है.
इतिहास की पाठ्य पुस्तकों से ‘नकारात्मक सामग्री’ हटाये जाने की जरूरत : भाजपा नेता बावनकुले
विवाद के बीच भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि कुछ लोगों ने इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में जानबूझ कर नकारात्मक बातें लिखी और इसे हटाये जाने की जरूरत थी. उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि वह पाठ्य पुस्तकों में ‘नकारात्मक चित्रण’ के खिलाफ हैं, लेकिन तथ्यों को इनसे हटाये जाने की जरूरत नहीं है.