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Mob Lynching: देश में पहली बार कब हुई थी मॉब लिंचिंग, इस सख्श की हुई थी बेरहमी से हत्या

साधुओं का एक समूह उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल के मशहूर तीर्थ गंगासागर जा रहा था. इस दौरार पुरुलिया में लोगों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी. मॉब लिंचिंग की यह कोई पहली घटना नहीं है. देश के कई राज्य कई बार ऐसी अमानवीय घटना की गवाही दे चुके हैं. मॉब लिंचिंग के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है.

Mob Lynching: महाराष्ट्र के पालघर में दो साधु और उनके एक ड्राइवर की बेरहमी से हत्या के बाद आम लोगों का वही उग्र चेहरा पश्चिम बंगाल में नजर आया, जिससे एक बार फिर मॉब लिंचिंग की याद ताजा हो गई. जगह बदल गया और लोग भी बदल गये लेकिन घटना वही रही… मॉब लिंचिंग… चंद ऐसे उग्र लोगों के समूह ने कुछ साधुओं को न सिर्फ लाठी डंडे से मारा बल्कि उन्हें निर्वस्त्र कर दिया. सोशल मीडिया पर एक छोटा सा क्लिप खूब वायरल हो रहा है. जिसमे दिखाया गया है कि कैसे भीड़ में शामिल लोग कुछ साधुओं के समूह को मार पीट रहे हैं. घटना पश्चिम बंगाल के पुरुलिया का है. जहां साधुओं के एक ग्रुप को कथित तौर पर भीड़ ने जमकर मारा-पीटा.

पुरुलिया में साधुओं को लोगों ने मारा-पीटा
साधुओं का एक समूह उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल के मशहूर तीर्थ गंगासागर जा रहा था. इस दौरार पुरुलिया में लोगों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी. घटना को लेकर पुरुलिया के एसपी अभिजीत बनर्जी ने कहा कि तीन साधु एक वाहन में जा रहे थे. गोराडीह के पास साधुओं काली मंदिर के रास्ते जा रही कुछ लड़कियों से कुछ पूछा. भाषाई भिन्नता के कारण लड़कियों को कुछ गलतफहमियां हुईं और लड़कियों को लगा कि साधु उनका पीछा कर रहे हैं. इसके बाद वहीं स्थानीय लोग जमा हो गये और साधुओं के साथ भी मारपीट शुरू कर दी. घटना के बाद इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

पहले भी हो चुकी है मॉब लिंचिंग की घटना
मॉब लिंचिंग की यह कोई पहली घटना नहीं है. देश के कई राज्य कई बार ऐसी अमानवीय घटना की गवाही दे चुके हैं. मॉब लिंचिंग के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है, कई घर तबाह हो चुके हैं. लेकिन इसके बाद भी इस घटना पर लगाम नहीं लग पाया है. आज भी देखते ही देखते लोग अपना आपा खो देते हैं. महाराष्ट्र के पालघर में भी कोरोना काल में मॉब लिंचिंग की घटना सामने आयी था, जिसमें दो साधुओं के साथ उनके ड्राइवर को भीड़ ने मार डाला था.

साल 2023 के जनवरी महीने में बिहार के गया स्थित किशनपुर गांव में घर में घुसे दो चोरों को ग्रामीणों ने लोगों दबोच लिया और उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी. लोगों ने दोनों को इतना मारा की एक शख्स की मौत हो गई और दूसरे अधमरी हालत में अस्पताल पहुंचाना पड़ा.
वहीं, भागलपुर में प्रेम प्रसंग के एक मामले में सनोखर थाना क्षेत्र मे ग्रामीणों ने एक युवक को पकड़ लिया और उसे मौत के घाट उतार दिया. झारखंड के दुमका के कपरजोरा गांव में भी भीड़ ने चोरी के आरोप में  एक शख्स को पेड़ से बांधकर पीट-पीटकर मार डाला था. इससे पहले राजस्थान में मीट शॉप चलाने वाले 60 साल के एक बुजुर्ग को भीड़ ने सरिये से मारकर हत्या कर दी थी. यूपी में भैंसों को ले जा रहे 3 लोगों को भीड़ ने पीट पीटकर मार डाला था.

पहली बार कब सामने आया था मॉब लिंचिंग का मामला
भारत में पहली बार दर्ज मॉब लिंचिंग का मामला साल 1830 में पुणे शहर में दर्ज हुई थी. इस घटना में महात्मा फुले के पिता गोविंदराव फुले की हत्या हो गई थी. रिपोर्ट के अनुसार उस समय समाज के लोगों ने उनपर उस समय के प्रचलित सामाजिक मानदंडों की अवहेलना करने का आरोप लगाया था. मॉब लिंचिंग दुर्भाग्य से भारत के इतिहास में बार-बार दोहराए जाने वाला मुद्दा बन गया है. आये दिन इसकी बानगी कहीं न कहीं दिख जाती है. हालांकि ऐसी घटनाओं से निपटने और उन्हें रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. 

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