भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे में 18 वर्षीय एक छात्र ने रविवार को अपने हॉस्टल की सातवीं मंजिल से कूद कर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. इस मामले में पुलिस जांच कर रही है, लेकिन छात्र की मौत मामले ने एक अलग ही मोड़ ले लिया है. मौत के पीछे जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया जा रहा है.
छात्र के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया
पुलिस ने बताया कि छात्र दर्शन सोलंकी अहमदाबाद का रहने वाला था और बीटेक (केमिकल) पाठ्यक्रम का प्रथम वर्ष का छात्र था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि परिसर में जब सुरक्षा प्रहरियों ने युवक को खून से लथपथ पाया, तब यह घटना प्रकाश में आई. उन्होंने बताया कि मृतक ने कोई ‘सुसाइड नोटा’ नहीं छोड़ा है और प्रथम दृष्टया उसने छात्रावास भवन की सातवीं मंजिल से छलांग लगाई थी. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बुधन सांवत ने कहा, प्राथमिक सूचना के आधार पर, हमने दुर्घटनावश हुई मौत का एक मामला दर्ज किया है.
इस एंगल से जांच कर रही है पुलिस
पुलिस छात्र की मौत मामले पर कई एंगल से जांच कर रही है. जिसमें यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या छात्र किसी तरह के दबाव में था. उसको पढ़ाई को लेकर तनाव था.
छात्रों ने मौत मामले को जातिगत भेदभाव से जोड़ा, सोशल मीडिया पर बहस
APPSC (Ambedkar Periyar Phule Study Circle) ने छात्र दर्शन सोलंकी की मौत को लेकर ट्वीट किया और बहस छोड़ दिया है. ट्वीट में छात्र की मौत को जातिगत भेदभाव से जोड़ा गया. ट्वीट में लिखा गया, 18 वर्षीय दलित छात्र दर्शन सोलंकी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, जो 3 महीने पहले अपने बीटेक के लिए आईआईटी बॉम्बे में शामिल हुए थे. हमें यह समझना चाहिए कि यह एक व्यक्तिगत नहीं है /व्यक्तिगत मुद्दा, लेकिन एक संस्थागत हत्या.
दलित छात्रों के साथ भेदभाव का लग रहा आरोप
APPSC ने अपने ट्वीट में लिखा, शिकायतों के बावजूद संस्थान ने दलित बहुजन आदिवासी छात्रों के लिए परिसर को सुरक्षित बनाने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. ट्वीट में दावा किया गया कि दलित छात्रों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. यही नहीं छात्र की मौत मामले में एक के बाद एक कई ट्वीट किये जा रहे हैं. और रोहित वेमुला से इस केस को भी जोड़ा जा रहा है.