नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का आकार घटने जा रहा है. दिल्ली को स्लम फ्री (झुक्की मुक्त) बनाने पर काम चल रहा है. साथ ही एनसीआर को हाई स्पीड कनेक्टिविटी देने पर जोर दिया जा रहा है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (NCRPB) ने ‘मसौदा क्षेत्रीय योजना 2041’ (Draft Regional Plan-2041) को मंजूरी दे दी है. अगर इसे सरकार की मंजूरी मिल जाती है, तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 175 वर्ग किलोमीटर से घटकर 100 वर्ग किलोमीटर रह जायेगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि 100 किमी के दायरे से आगे और मौजूदा एनसीआर सीमा तक लीनियर कॉरिडोर विकसित किये जायेंगे. इससे एक्सप्रेस-वे, नेशनल हाई-वे (राष्ट्रीय राजमार्ग) और क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम से एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.
‘मसौदा क्षेत्रीय योजना 2041’ में कहा गया है कि 100 किमी के परिसीमन में आंशिक रूप से आने वाली तहसीलों को एनसीआर में शामिल करने या उसे छोड़ देने का फैसला संबंधित राज्यों पर छोड़ दिया जायेगा. इस संबंध में सरकार की ओर से बहुत जल्द लोगों से सुझाव और आपत्तियां मांगी जायेंगी. इस संबंध में विस्तृत मसौदा योजना जल्द ही सार्वजनिक की जायेगी.
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नये प्लान पर गौर करें, तो पायेंगे कि हरियाणा के गुड़गांव, फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मेरठ के कुछ क्षेत्र एनसीआर का हिस्सा बने रहेंगे. ये सभी शहर दिल्ली से 100 किमी के दायरे में आते हैं. मसौदा क्षेत्रीय योजना-2041 में झुग्गी-झोपड़ी मुक्त राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एयर एम्बुलेंस सुविधा, हेली टैक्सी, सड़क, रेल और जलमार्गों के जरिये हाई स्पीड कनेक्टिविटी पर जोर देने की बात कही गयी है.
मसौदा योजना में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रमुख शहरों के भीतर सुपरफास्ट ट्रेनों से 30 मिनट की कनेक्टिविटी पर फोकस किया गया है. एनसीआर सीमाओं से दिल्ली तक 30 मिनट की मास ट्रांजिट रेल सिस्टम (एमटीआरएस) शुरू करने का भी इस मसौदे में प्रस्ताव किया गया है. एनसीआरपीबी की वेबसाइट पर उपलब्ध क्षेत्रीय योजना 2021 में सात मेट्रो केंद्रों के नाम हैं. इनमें फरीदाबाद-बल्लभगढ़, सोनीपत-कुंडली, गुड़गांव-मानेसर, गाजियाबाद-लोनी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मेरठ शामिल हैं.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में दिल्ली के अलावा तीन राज्यों के 24 जिले आते हैं. सबसे ज्यादा 14 जिले (करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी, दादरी और महेंद्रगढ़) शामिल हैं. इस तरह, एनसीआर में 45.98 फीसदी हिस्सा हरियाणा का है, जबकि उत्तर प्रदेश का 26.92 फीसदी और 24.48 फीसदी हिस्सा राजस्थान का है. दिल्ली का मात्र 2.68 फीसदी हिस्सा एनसीआर क्षेत्र में आता है.
राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर के हिस्से एनसीआर में आते हैं. जिले भले सिर्फ दो हों, लेकिन, बड़ा भू-भाग एनसीआर का हिस्सा है. उत्तर प्रदेश के 8 जिले (शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्धनगर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर) एनसीआर का इस वक्त हिस्सा हैं. गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मेरठ का कुछ हिस्सा आगे भी एनसीआर का हिस्सा बना रहेगा.
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने गुड़गांव (गुरुग्राम) में हेली हब के निर्माण का प्रस्ताव दिया है. कहा गया है कि हरियाणा की सरकार ने इसके लिए जमीन चिह्नित कर ली है. केंद्र सरकार को जल्द ही इसका प्रस्ताव भेजा जायेगा. साथ ही कहा है कि राज्य सरकार एयर टर्बाइन फ्यूल पर वैट की दरें 20 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी कर दी है.
जुलाई में हरियाणा की खट्टर सरकार ने एनसीआर के आकार को छोटा करने का प्रस्ताव एनसीआरपीबी को दिया था. सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि एनसीआर में हरियाणा की हिस्सेदारी 25,327 वर्ग किलोमीटर से घटाकर 8,281.60 वर्ग किलोमीटर किया जायेगा. 23 सितंबर को मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से आग्रह किया था कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिला आधारित प्रावधानों को लागू करने की मंजूरी दी जाये, न कि एनसीआर आधारित प्रावधानों के अनुरूप काम करने के लिए कहा जाये.
Posted By: Mithilesh Jha