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अमर सिंह को राजनीति का चाणक्य क्यों कहा जाता था ?

नयी दिल्ली : राज्यसभा सांसद अमर सिंह (Amar Singh) का निधन हो गया. अमर की पहचान राजनीतिक नेताओं के रूप में सबसे मजबूत थी. किसी खास पार्टी में रहने के बावजूद सभी नेतओं से संपर्क रखते थे . अमर सिंह का वक्त था जब वह सत्ता की धुरी हुआ उनके इर्द-गिर्द कभी-कभार सियासत, कारोबार और फिल्मों की समूची दुनिया घूमती लगती थी. समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए.

नयी दिल्ली : राज्यसभा सांसद अमर सिंह (Amar Singh) का निधन हो गया. अमर की पहचान राजनीतिक नेताओं के रूप में सबसे मजबूत थी. किसी खास पार्टी में रहने के बावजूद सभी नेतओं से संपर्क रखते थे . अमर सिंह का वक्त था जब वह सत्ता की धुरी हुआ उनके इर्द-गिर्द कभी-कभार सियासत, कारोबार और फिल्मों की समूची दुनिया घूमती जान पड़ती थी. समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए.

घर पर मेजबानी के लिए मशहूर थे अमर सिंह

अमर सिंह मेजबानी के लिए अलग पहचान रखते थे. अपने घर पर बड़े और रसूकदार लोगों को बुलाकर पार्टी देते थे. भारतीय राजनीति में चाणक्य माने जाने वाले अमर सिंह की उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार में तूती बोलती थी. ऐसा माना जाता था उनकी समहति के बिना कोई भी बड़ा फैसला संभव नहीं था. केंद्र की यूपीए-1 सरकार को बचाने में भी उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी.

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अमिताभ बच्चन से रिश्ता और विवाद

एक वक्त था जब अमिताभ बच्चन और अमर सिंह की दोस्ती काफी मशहूर ही थी लेकिन बीच में किसी मतभेद की वजह से दोनों के रिश्ते में दरार आ गयी. सिंगापुर के अस्पताल से अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से एक वीडियो जारी कर माफी मांगी है. वीडियो जारी करते हुए उन्होंने कहा,तल्खी के बावजूद यदि अमिताभ बच्चन उन्हें जन्मदिवस पर, उनके पिता की पुण्यतिथि पर मैसेज करते हैं तो मुझे अपने बयान पर खेद प्रकट कर देना चाहिए. सपा से रिश्ता बिगड़ने के बाद अमर सिंह ने अमिताभ बच्चन को लेकर कई जुबानी हमले किए थे.

थोड़ा और जानिये अमर सिंह को

जन्म 27 जनवरी, 1956 को अलीगढ़ में हुआ ताले बनाने का एक छोटा-सा कारोबार करते थे. अमर का पूरा परिवार कोलकाता के बड़ा बाजार में जाकर बस गया . अमर सिंह ने बताया कि पिता ने ही उन पर संदेह किया था. उन्हें लगता था कि उनका बेटा ‘सेंट जेवियर्स या प्रेसिडेंसी सरीखे अच्छे कॉलेज’ में दाखिले की सोचकर अपनी अहमियत को कुछ ज्यादा ही आंक रहा है.कम उम्र से ही उनकी ‘याददाश्त बहुत अच्छी थी

कैसे हुआ राजनीति से परिचय

सेंट जेवियर्स में उनकी मुलाकात उस वक्त कांग्रेस के एक नेता सुब्रत मुखर्जी और प्रियरंजन दासमुंशी से हुई. राजनीति से संपर्क में आने के बाद उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि वह सिर्फ एक राज्य में सीमित नहीं रहना चाहते. इसके बाद उनकी मुलाकात कांग्रेस नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और माधवराव सिंधिया से हुई. 1990 और 1991 के बीच कई महीनों में वे प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भी करीब आ गये रहे. अमर सिंह के मुताबिक 1996 में जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी, तब उन्हें लगा कि ‘वे भी ऐसा ही करने के लिए आजाद हैं.’ जिसके बाद मुलायम के साथ उनकी बढ़ती दोस्ती एक मशहूर सियासी भागीदारी तक ले गई.

मनमोहन सिंह की सरकार को बचाने के लिए आगे आये थे अमर सिंह 

साल 2009 अमर सिंह को सपा ने उन्हें और उनकी साथी अदाकारा जया प्रदा को पार्टी से निकाल दिया. 2011 में वे उस वक्त पतन के गर्त में चले गए जब तथाकथित ‘वोट फॉर कैश’ घोटाले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था . उन पर यूपीए सरकार को बचाने के लिए सांसदों को घूस देने का आरोप था. यूपीए के सहयोगी वाम मोर्चे ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के कारण समर्थन वापस ले लिया था और लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा था तो अमर सिंह ही मनमहोन सरकार को बचाने के लिए आगे आए थे.

समाजवादी पार्टी में वापसी से पहले वह छह साल तक सक्रिय राजनीति से दूर रहे. इसके कई कारण थे जिसमें सबसे अहम थी उनकी बीमारी. अमर सिंह राजनीति से दूर नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने राजनीतिक पार्टी भी बनाई लेकिन राष्ट्रीय लोक मंच के उम्मीदवारों की 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जमानत जब्त हो गया. 2014 में राष्ट्रीय लोक दल से लोकसभा के चुनाव लड़े, बुरी तरह हारे. इतना ही नहीं, कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश भी ख़ूब की. अमर सिंह अच्छी तरह जानते थे कि उन्हेंं अपनी सेहत की वजह से राजनीति में पूरी तरह सक्रिय होने में समस्या हो रही है. कई बार अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने माना था.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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