नयी दिल्ली : कश्मीर में पथराव करने वालों के खिलाफ मानव ढाल के रुप में एक व्यक्ति को जीप से बांधने वाले मेजर लीतुल गोगोई को दिए गए प्रशस्ति पत्र का दो पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने समर्थन किया जबकि एक सेवानिवृत्त जनरल ने कहा है कि यह कदम सेना की परंपरा के लिहाज से अनुपयुक्त है.
53 राष्ट्रीय राइफल्स में मेजर गोगोई को सेना प्रमुख की ओर से ‘‘आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके सतत प्रयासों’ के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था. मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) रमेश चोपडा गोगोई की कार्रवाई के समर्थन में सामने आए हैं.
चोपडा ने कहा, ‘‘इस नयी तरह की सोच के साथ उन्होंने कई लोगों की जान बचाई जो काबिले तारीफ है. मैं इस सूझबूझ के लिए उन्हें पूरे अंक देता हूं.’ हालांकि उत्तरी कमान में पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच एस पनाग ने आलोचना करते हुए कहा कि गोगोई का यह कदम भारतीय सेना की परंपराओं के लिहाज से अनुपयुक्त है.
पनाग ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भारतीय सेना की परंपराओं, लोकाचार, नियम और कायदों पर ‘देश का मूड’ हावी हो गया. अगर मैं इसका विरोध करने वाला आखिरी व्यक्ति भी हूं तो भी मैं अपने रुख पर कायम हूं.’ श्रीलंका में भारतीय शांति दूत सेना में सेवाएं देने वाले कर्नल अनिल कौल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गोगोई ‘‘कुछ हटकर सोचने’ के लिए प्रशस्ति पत्र से ज्यादा के हकदार हैं.
कौल ने कहा, ‘‘उन्होंने पथराव करने वालों के हमले के बावजूद बिना एक भी गोली चलाए कई लोगों की जान बचाई. उनके कदम की प्रशंसा होनी चाहिए और उन्हें शौर्य चक्र देना चाहिए.’ असम के रहने वाले गोगोई ने कल बताया था कि गत नौ अप्रैल को बडगाम जिले के उत्लिगम गांव में एक मतदान केंद्र पर सुरक्षाबलों के छोटे से समूह को पथराव करने वाले करीब 1,200 लोगों ने घेर लिया था.
उन्होंने दावा किया कि अगर वह गोली चलाने का आदेश देते तो कम से कम 12 लोग मारे जाते. गोगोई ने बताया कि उन्होंने भीड़ को उकसाते एक व्यक्ति को देखा. उन्होंने कहा कि किसी को हताहत किए बिना मतदान कर्मियों और अर्द्धसैन्य बलों को बचाने के लिए व्यक्ति को जीप से बांधने का विचार उनके दिमाग में अचानक आया.