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तीन तलाक के विरोध में मुस्लिम उदारवादी

नयी दिल्ली : देश में तीन तलाक को लेकर चल रही बहस के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का भले ही यह कहना है कि शरिया इस प्रथा की वैधता को उचित ठहराती है, हालांकि समुदाय में हर कोई इससे सहमत नहीं है. उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर 11 मई से सुनवाई आरंभ […]

नयी दिल्ली : देश में तीन तलाक को लेकर चल रही बहस के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का भले ही यह कहना है कि शरिया इस प्रथा की वैधता को उचित ठहराती है, हालांकि समुदाय में हर कोई इससे सहमत नहीं है.

उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर 11 मई से सुनवाई आरंभ कर रहा है. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएसपीएलबी) तीन तलाक के मामले में कड़े कानून की पैरवी कर रहा है.

एआईएसपीएलबी के प्रवक्ता मौलाना यासबू अब्बास ने कहा, ‘‘समय की मांग है कि कड़ा कानून लाया जाये. यह सती विरोधी कानून की तरह हो, जो किसी महिला को पीड़ित होने से बचाए और यह सुनिश्चित करे कि दोषी को सजा मिले़ शिया समुदाय में एक बार में तीन तलाक के लिए कोई जगह नहीं है.”

बोहरा विद्वान इरफान इंजीनियर का कहना है कि तीन तलाक गैर इस्लामी है, लेकिन केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए. शिया समुदाय के नेता सलीम रिजवी ने कहा, ‘‘हम तीन तलाक में यकीन नहीं करते और शिया समुदाय में इस पर अमल नहीं होता है.”

वरिष्ठ पत्रकार असद रजा का कहना है कि तीन तलाक का मुद्दा पूरी तरह से पुरुषवादी वर्चस्व से जुड़ा है और इसका कुरान में कोई उल्लेख नहीं है.

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