मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दे दी है. अदालत ने जमानत की अर्जी मंजूर करने के साथ ही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को पांच लाख रुपये का मुचलका भरने का भी आदेश दिया है. इसके साथ ही, अदालत ने इतनी ही राशि की दो अलग-अलग जमानती राशि जमा कराने, एनआईए के पास पासपोर्ट जमा कराने और अदालत में सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का भी आदेश दिया है.
Pragya Singh Thakur to furnish Rs 5 lakh bail amount,2 sureties of same amt,to also submit passport to NIA & appear on dates in trial court
— ANI (@ANI) April 25, 2017
बीते 20 फरवरी को बंबई हाईकोर्ट ने मालेगांव 2008 बम विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साधु प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके साथ ही, अदालत ने उस समय मामले की सुनवाई स्थगित किये जाने के आदेश जारी किया था.
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सुनवाई के दौरान मुंबई हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ न्यायमूर्ति मोरे और न्यायमूर्ति फांसिलकर जोशी के समक्ष पीड़ितों के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता बीए देसाई ने अदालत को बताया था कि अतिरिक्त जांच के नाम पर एनआइए ने मामले के आरोपी को लाभ पहुंचाने के लिए फिर से जांच की और इन सरकारी गवाहों के बयानों को दोबारा दर्ज किया, जबकि एटीएस ने पहले ही बयान दर्ज कर लिया था.
इसके पहलेख् इसी साल की फरवरी में मध्यप्रदेश के देवास की स्थानीय अदालत ने आरएसएस के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी आठ आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. साध्वी को बरी करते हुए अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पुलिस और एनआईए दोनों ने किसी पूर्वाग्रह या अज्ञात कारण से प्रकरण में लचर अनुसंधान किया.
जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को देवास के औद्योगिक पुलिस थाना इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. कोर्ट ने जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, रामचरन पटेल, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेन्द्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा सहित सभी आठ आरोपियों को यह कहकर बरी कर दिया था कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
मालेगांव विस्फोट से संबंधित अहम तथ्य
- जांच एजेंसी एनआईए के अनुसार, जिस एलएमएल फ्रीडम मोटर साइकिल की वजह से साध्वी को आरोपी बनाया गया है, वह साध्वी के नाम पर तो थी, लेकिन धमाके के बहुत पहले से फरार आरोपी राम जी कालसांगरा उसे इस्तेमाल कर रहा था. इसके अलावा, आरोपी सुधाकर द्विवेदी से बम प्लांट करने के दो फरार आरोपी रामजी कालसांगरा और संदीप डांगे को मिलाने और उसके जरिये कर्नल प्रसाद पुरोहित से आरडीएक्स मंगाने के लिए कहने का बयान देने वाले गवाह अपने पुराने बयान से मुकर चुके हैं.
- चूंकि, मामले पर मकोका का नहीं बनता इसलिए उनका पहले वाला इकबालिया बयान अदालत में सबूत नहीं माना जायेगा. हालांकि, मामले पर अब भी मकोका बरक़रार है, जबकि कर्नल प्रसाद पुरोहित के बारे में एनआईए की राय अलग है. मई, 2016 में अपनी चार्जशीट में एनआईए ने कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को धमाकों की साजिश के प्रमुख आरोपियों में से एक बताया है.
- एनआईए के अनुसार, कर्नल प्रसाद पुरोहित ने ही साल 2006 में अभिनव भारत संगठन की स्थापना की. संगठन के नाम पर बड़े पैमाने पर धन इकट्ठा किया और उसके जरिए हथियार और बारूद की व्यवस्था की. 25 और 26 जनवरी 2008 को फरीदाबाद की मीटिंग में कर्नल ने अलग हिंदू राष्ट्र के संविधान और केसरिया झंडे का प्रस्ताव रखा था. उस मीटिंग में मुस्लिमों से बदला लेने पर भी चर्चा हुई थी.
- उसके बाद अप्रैल 2008 में भोपाल में हुई गुप्त बैठक में मालेगांव में बम धमाका कराने की चर्चा हुई. एफएसएल की रिपोर्ट में आरोपी सुधाकर द्विवेदी के लैपटॉप में रिकॉर्ड साजिश की मीटिंग की आवाज कर्नल पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी और रमेश उपाध्याय की आवाज होने की पुष्टि हुई है.
- धमाके के बाद कर्नल पुरोहित और रमेश उपाध्याय की बातचीत भी इंटरसेप्ट हुई है, जिसमें कर्नल बातचीत के लिए उपाध्याय को अलग सिम कार्ड लेने के लिए कह रहे हैं और बातचीत के दौरान सावधान रहने को कह रहे हैं, जो उनके मन मे छुपे अपराधबोध को बताता है.
- प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद कर्नल पुरोहित ने आरोपी समीर कुलकर्णी को एसएमएस कर बताया था कि पुणे में उसके घर पर एटीएस आई थी. कर्नल ने उसे तुरंत टेलीफोन से सभी नबंर को डिलीट कर भोपाल छोड़ने को कहा था.
- 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे. महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 11 लोगो को गिरफ्तार किया था. बाद में जांच एनआईए को दे दी गयी.