नयी दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और खासकर भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्षी दलों ने गोलबंदी शुरू कर दी है. इस चुनाव को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के घटक दलों के मुखिया कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए की संरक्षक सोनिया गांधी के इर्द-गिर्द मंडराते हुए गणेश परिक्रमा शुरू कर दिया है. राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने की सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहल शुरू की और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर काफी देर तक बातचीत की. नीतीश के बाद माकपा के नेता सीताराम येचूरी ने भी सोनिया गांधी से भेंट की है. इधर, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी सोनिया गांधी से मुलाकात करने का ऐलान कर चुके हैं.
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यूपीए की संरक्षक और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि वाम मोर्चा राष्ट्रपति पद के उसी उम्मीदवार का समर्थन करेगा, जो संवैधानिक ढांचे को मजबूती प्रदान करेगा और वर्तमान स्थिति से निकालकर देश को आगे ले जायेगा. येचुरी ने कहा कि वे निश्चित रूप से ऐसा उम्मीदवार चाहते हैं, जिन्हें सभी दलों का समर्थन प्राप्त हो. माकपा ने इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी अनौपचारिक चर्चा की.
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इस बारे में माकपा और भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) के बीच बैठक भी हो चुकी है. भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा कि इस चुनाव में सहमति वाला उम्मीदवार खड़ा करने की संभावना पर चर्चा की है. फिलहाल हमारे पास कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं है, लेकिन हम इस सुझाव का स्वागत करते हैं. राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी घोषणा कर दी कि वे जल्द ही इस सिलसिले में सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. लालू यादव तो पहले ही "महागठबंधन" के बारे में कह चुके हैं कि सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए वे एकजुट होना चाहते हैं और सभी को एक मंच पर आना चाहिए.
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जनता दल (युनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने कहा कि सोनिया गांधी को जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने का नेतृत्व करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जेडीयू चाहता है कि सोनिया गांधी विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार को उतारे जाने के प्रयास की अगुवाई करें. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी भाजपा का मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों से एकजुट होने की अपील की. इसी क्रम में उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की थी.
बता दें कि इस साल की जुलाई में राष्ट्रपति का चुनाव होना है और विपक्षी दल इसके लिए एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने के पक्ष में हैं. राष्ट्रपति भले ही सत्ता पक्ष या विपक्ष का हो, लेकिन इतना जरूर है कि यह चुनाव सोनिया गांधी के लिए संजीवनी का काम काम करेगा. इसका कारण यह है कि पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस को मिल रही करारी हार के चलते सोनिया गांधी राजनीतिक तौर पर पिछड़ गयी हैं.