नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक युवक को अपनी 14 वर्षीय प्रेमिका से बलात्कार करने का दोषी ठहराया है. अदालत ने कहा कि यद्यपि दोनों ने ‘आपसी रजामंदी’ से शारीरिक संबंध बनाए लेकिन वह अपराध का दोषी है क्योंकि लड़की नाबालिग है.
अदालत ने सुंदर पासवान को हालांकि लड़की के अपहरण के आरोप से बरी कर दिया. अदालत ने कहा, ‘‘उस वक्त लड़की सिर्फ 14 साल की थी और इसलिए आरोपी के साथ यौन संबंध बनाने के लिए उसकी सहमति का कोई मतलब नहीं है.’’ अदालत ने कहा कि न तो उसने लड़की को फुसलाया था और न ही उसे उसके साथ जाने के लिए बाध्य किया गया था और वह अपनी मर्जी से उसके साथ गई क्योंकि वे एक-दूसरे से प्रेम करते थे.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने कहा, ‘‘यह साफ है कि लड़की को न तो आरोपी (सुरेंद्र) ने अपने साथ चलने के लिए लुभाया था और न ही अपने साथ चलने के लिए मजबूर किया था और न ही अपने साथ चलने के लिए धमकी दी थी. लड़की सुरेंद्र से प्रेम करती थी और स्वेच्छा से 18 दिसंबर 2000 को उसके साथ गई.’’
अदालत ने कहा, ‘‘इस तथ्य से भी यह संकेत मिलता है कि उसने मध्य रात्रि में अपने माता-पिता या किसी और को सूचित किए बिना अपना घर छोड़ा था. इसलिए, आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) के तहत अपराध के आवश्यक घटक अभियोजन पक्ष ने स्थापित नहीं किए हैं और आरोपी इस आरोप से बरी किए जाने का हकदार है.’’ अदालत ने कहा, ‘‘चर्चा से यह भी स्पष्ट है कि सुरेंद्र और लड़की ने उस दौरान यौन संबंध बनाया था जब वह उसके साथ थी और यह आपसी रजामंदी से था. लेकिन, जैसा कि यहां गौर किया गया, लड़की उस वक्त सिर्फ 14 साल की थी और इसलिए आरोपी के साथ यौन संबंध के लिए उसकी रजामंदी का कोई मतलब नहीं है.’’
अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, सुरेंद्र और लड़की के बीच यौन संबंध आईपीसी की धारा 375 के तहत दी गई बलात्कार की परिभाषा के तहत आता है और उस अपराध के लिए आरोपी दोषी ठहराए जाने के लिए जिम्मेदार है.’’ सुरेंद्र को मामले में तब मुकदमे का सामना करना पड़ा था जब लड़की ने पुलिस के समक्ष दी गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि लड़के ने उससे बिहार के अपने गांव में कई बार बलात्कार किया. किसी बात को लेकर माता-पिता से डांट खाने के बाद वह दिसंबर 2000 में सुरेंद्र के साथ भाग गई थी.