नयी दिल्ली : वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने परमाणु आयुध के साथ लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम अग्नि..5 मिसाइल के परीक्षण पर चीन की प्रतिक्रिया खारिज करते हुए आज कहा कि भारत को प्रतिरोधक क्षमता निर्माण का अपना कार्य जारी रखना चाहिए.
राहा ने चीन पर परोक्ष रुप से निशाना साधते हुए कहा कि किसी को भी किसी के कुछ करने पर तब तक कुछ नहीं कहना चाहिए जब तक वह परमाणु प्रसार जैसा कुछ निषिद्ध नहीं हो. उन्होंने कहा कि यह ‘‘सामान्य जानकारी’ है कि इस क्षेत्र में ‘‘सांठगांठ, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मामले में क्या हो रहा है जो कि निषिद्ध है.’ उन्होंने कहा कि भारत केवल अपनी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ा रहा है. देश को ‘‘दुश्मन के केंद्र तक मार करने के लिए’ अपनी क्षमता बढ़ानी होगी जो कि प्रतिरोधक क्षमता के तौर पर काम करेगी. अग्नि..5 मिसाइल की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर से अधिक है और इसके दायरे में पूरा चीन आ जाएगा.
चीन के विदेश मंत्रालय ने मिसाइल परीक्षण पर प्रतिक्रिया जताते हुए कल उम्मीद जताई थी कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियमों के मुताबिक है और इससे दक्षिण एशिया का सामरिक संतुलन बना रहेगा.
राहा ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, सामान्य कूटनीति या सैन्य कूटनीति में ऐसे रुख या संकेत हमेशा ही रहेंगे.’ उन्होंने 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने से पहले यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इसलिए हमें अपना काम करना चाहिए, अपनी जरुरतों को पूरा करना चाहिए, सुरक्षा चुनौतियों से निपटना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अन्य कोई क्या कर रहा है उस पर वह तब तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करना चाहेंगे, जब तक कि वह निषिद्ध नहीं हो.
राहा ने किसी देश का नाम लिये बिना कहा, ‘‘परमाणु प्रसार की तरह इस क्षेत्र में क्या हो रहा है, यह सामान्य जानकारी है जैसे सांठगांठ, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जो कि निषिद्ध है. यह सब सामान्य जानकारी है. मैं कुछ भी नया नहीं कह रहा हूं.’ वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत अपनी क्षमता स्वदेशी तौर पर वैध रुप से विकसित कर रहा है और उन्हें नहीं लगता कि किसी को उसके बारे में शिकायत करनी चाहिए.
राहा ने कहा कि भारत क्षमता का ‘‘निश्चित तौर पर निर्माण कर रहा है’ कोई वास्तविक लडाई लडने के लिए नहीं क्योंकि वह शांति और अमन चैन में विश्वास करता है.
उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि हमें यह भी पता है कि हमें पूर्व में कई लड़ाइयों में धकेला गया है. इसलिए ऐतिहासिक अनुभव को देखते हुए हमें अपनी क्षमता बढ़ानी होगी. प्रतिरोध के लिए क्षमता. हम किसी दुश्मन को कैसे रोकेंगे जो कि मजबूत है? हमें दुश्मन के केंद्र तक मार करने, लक्ष्यों को प्रभावी तरीके से लेने के लिए अपनी क्षमता का निर्माण करना होगा जिससे कि दुश्मन को नुकसान पहुंचे.’