नयी दिल्ली : शुक्रवार को लीबिया के एक विमान का नाटकिय ढंग से अपहरण किया गया और फिर उसे तुरंत ही छोड़ दिया गया. इतना ही नहीं अपहरणकर्ताओं ने विमान में सवार सभी लोगों को रिहा करने के साथ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण भी कर दिया. अपहरणकर्ताओं ने अपने पास हथगोले होने का दावा किया था. यह पहली बार हुआ कोई विमान हाइजैक का मामला नहीं है. इससे पहले भी देश और दुनिया में कई बार विमान हाइजैक किये गये है. उनमें से कुछ हाइजैक तो ऐसे भी थे, जिन्होंने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया.
कई बार तो मासूमों का अपनी जान भी गंवानी पड़ी है. बॉलीवुड में विमान हाइजैक पर तो कई फिल्में भी बनायी गयी हैं. जमीन और नीरजा जैसी फिल्में एक उदाहरण हैं.
एयर इंडिया फ्लाइट हाईजैक और क्रैश ( जून, 1985)
जून 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 तब हाइजैक कर ली गयी जब यह अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ रही थी. हवा में ही विमान को क्रैश करा दिया गया. यह क्रैश प्लेन में गुप्त रूप से रखे गये बम से कराया गया. मौजूदा एयरइंडिया के डायरेक्टर ने बताया था कि उन्हें कुछ राजनीतिक समूहों से हाइजैक की धमकियां मिल रही थी. इस क्रैश के कारण फ्लाइट में मौजूद 329 लोगों की मौत हो गई थी. इसे एक बड़े दिल दहलाने वाले हादसे के रूप में जाना जाता है. घटना के बाद किसी ने भी 20 सालों तक हाइजैकिंग की जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन 2005 में कनाडा में रह रहे एक सिख समूह के इस घटना में होने का दावा किया था.
कंधार विमान हादसा (1999)
इंडियन एयरलाइंस के विमान आइसी-814 को 24 दिसंबर, 1999 में आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था. इस विमान को हाईजैक कर पाकिस्तान ले जाया गया था. उसके बाद वहां से पेट्रोल भराकर विमान को कंधार ले जाया गया था. हाइजैक का मकसद भारत में गिरफ्तार हुए खूंखार आतंकवादियों को मुक्त करना था. विमान लाहौर में उतरा, उसमें ईंधन भरा गया और अपहर्ताओं को हथियारों से भरा एक झोला मिला. फिर विमान दुबई गया जहां 27 सवारियों को छोड़ दिया गया. उसके बाद विमान अफगानिस्तान के कंधार चला गया. अपहरणकर्ताओं की मांग थी कि भारतीय जेलों से 35 आतंकवादियों को छोड़ा जाए. इनमें प्रमुख था मौलाना मसूद अजहर.
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमला (सितम्बर 2011)
अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर किया गया हमला भी एक विमान हाईजैक कर ही कराया गया था. 9/11 का हमला रोंगटे खड़े कर देने वाला सबसे भयानक प्लेन हाइजेकिंग और आतंकवादी हमला था. आतंकवादियों ने अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 11 और फ्लाइट 77, यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 और फ्लाइट 93 को हाइजैक किया था और इन सभी को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ट्विन टॉवर्स से टकरा दिया. इस हाइजैकिंग और हमले का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन था. इस हमले में 3 हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे.
इथियोपिया एयरलाइंस फ्लाइट ( नवंबर, 1996)
दुनिया में सबसे घातक प्लेन हाइजैकिंग में से एक इथियोपिया एयरलाइंस फ्लाइट 961 है. फ्लाइट 961 को तीन इथियोपियंस ने हाइजैक किया था जो कि ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक शरण की मांग कर रहे थे. इस बीच हवा में जब कैप्टेन को पता चला कि फ्यूल पर्याप्त नहीं है तो उसने एक अन्य रनवे पर प्लेन को उतारने की गरज से विमान को कोमोरोस द्वीप की ओर मोड़ दिया था. लेकिन प्लेन वहां पहुंच नहीं पाया और प्लेन के दोनों इंजिन फेल हो गये. नतीजन प्लेन उथले पानी में क्रेश हो गया जिससे 172 में से 122 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौत हो गयी.
इजिप्ट एयर फ्लाइट (नवंबर, 1985)
इजिप्ट एयर फ्लाइट 684 की हाइजैकिंग में तो आतंकवादियों ने डील के बाद भी अपने नापाक मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाया. अबू निदाल संगठन के तीन फलीस्तीनी सदस्यों ने प्लेन को उस समय हाइजैक किया जब वह काहिरा से एथेंस की उड़ान भर रहा था. मिस्र के एक सुरक्षा सेवा के सदस्य ने एक आतंकवादी को मार गिराया लेकिन बदले में उसे भी मार डाला गया. हाईजैकर्स ने माल्टा में 11 यात्रियों और 2 घायल फ्लाइट अटैंडेट्स को छोड़ दिया. लेकिन माल्टीज प्रधानमंत्री कार्मेनु मिफसुद वोन्निसी के कट्टरपंथी दृष्टिकोण की वजह से बात बिगड़ गयी और सभी मारे गये.
इराकी एयरवेज (दिसंबर 1986)
इराकी एयरवेज फ्लाइट 163 को बगदाद से उमान जाना था लेकिन उसे हिजबुल्लाह के चार सदस्यों ने हाइजैक कर लिया. प्लेन में 15 क्रू मेंबर्स के साथ 91 यात्री सवार थे. हाइजैक के तुरंत बाद, सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें बेअसर करने की कोशिश की. अपहरणकर्ताओं ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई के जवाब में यात्री केबिन और कॉकपिट में ग्रेनेड्स से विस्फोट किया. इस वजह से विमान सउदी अरब के अरार के पास प्लेन क्रैश हो गया. इस प्लेन क्रैश में 106 में से 60 यात्रियों और 3 क्रू मेंबर्स की मौत हो गयी थी.
पैन एम फ्लाइट ( 1986)
पैन एम फ्लाइट 73 को उस समय हाईजैक कर लिया गया था जब यह प्लेन कराची से फ्रैंकफर्ट के लिए उड़ान भरने वाली थी. एयरपोर्ट सिक्योरिटी गार्ड्स के भेष में मौजूद अबू निदाल संगठन के चार सदस्यों ने प्लेन हाइजैक कर लिया था. 360 यात्रियों को ले जा रहा यह प्लेन मुंबई के सहर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से कराची के जिन्नाह अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट आया ही था कि हाइर्जक की घोषणा की गयी. प्लेन जर्मनी के फ्रैंकफर्ट होते हुए अमेरिका के न्यूयॉर्क में जॉन एफ केनेडी एयरपोर्ट जाने की तैयारी में था. इस हाइजैक के दौरान 20 यात्री मारे गये थे जिनमें 12भारतीय थे तथा बाकी अमेरिका, पाकिस्तान व मेक्सिको से थे. इस हाइजैक में कई यात्री भागने में सफल रहे थे क्योंकि फ्लाइट अटैंडेट नीरजा भनोट ने जान पर खेलकर यात्रियों की मदद की थी.