नयी दिल्ली: दो अधिकारियों को नजर अंदाज करके नये सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर आज राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप तेज हो गया जब कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसकी ‘‘मजबूरी के कारण’ पूछे और भाकपा एवं जद (यू ) ने इसको लेकर सवाल उठाया. उधर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें रक्षा बलों से जुडे मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ‘‘संस्थानों से छेड़छाड़ ‘ और सेना में राजनीति करने के लिए सरकार की निंदा की.
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब सरकार ने कल दो वरिष्ठ अधिकारियों पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को नजरअंदाज करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख बनाया. भाकपा नेता डी राजा ने भी सरकार के कदम पर सवाल उठाया और कहा कि सेना, न्यायपालिका या सीवीसी में, हो या कार्यवाहक सीबीआई निदेशक और केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्तियां हों ये विवादित हो गई हैं.
जद (यू)के सांवद पवन वर्मा ने कहा , ‘‘हर सवाल जो किया जाता है वह मुद्दे को राजनीतिकण के लिये नहीं होता बल्कि किसी जवाब के स्पष्टीकरण के लिये होता है. ‘‘ भाजपा ने सेना प्रमुख की नियुक्ति पर सरकार पर निशाना साधने वाली कांग्रेस की निंदा की और कहा कि रक्षा बलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. भाजपा ने कहा कि वर्तमान सुरक्षा स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की पदोन्नति हुई.
विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए भाजपा राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि नये सेना प्रमुख को पांच सबसे वरिष्ठ अधिकारियों के समूह में से चुना गया जो सभी सक्षम हैं और रावत की नियुक्ति को अन्य के खिलाफ नकारात्मक रुप में नहीं देखा जाना चाहिए. शर्मा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा सेना प्रमुख की नियुक्ति का राजनीतिकरण करना उसकी ‘‘हताशा’ को दिखाता है क्योंकि वह कई चुनावी हारने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में ‘‘हाशिये’ पर आ गई है. तिवारी ने यहां पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को वरीयता को नजरअंदाज कर इस नियुक्ति के लिए ‘‘मजबूर करने वाले कारण’ बताने चाहिए.’ उन्होंने कहा कि सरकार को देश को बताना चाहिये कि क्या परिस्थिति थी जो उसने वरीयता दरकिनार कर नियुक्तियां की.
तिवारी ने कहा , ‘‘ ये सार्वजनिक नियुक्तियां है. सेनाध्यक्ष एक मजबूत सेना का नेतृत्व करता है. इसलिये जब कोइ अभूतपूव कार्रवाई की जाती है तो सवाल पूछना वाजिब है. ‘ उन्होंने कहा कि चाहे नोटबंदी हो या कोई मुद्दा , प्रधानमंत्री का मानना है कि वह संसद के प्रति या जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है और हर काई फैसला उनकी मर्जी से लिया गया ‘तुगलकी फरमान ‘ हो सकता है.
हालांकि वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का कहना है कि कि लेफ्टिनेंट जनरल रावत को केवल लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल हारिज की वरीयता को नजरअंदाज कर नियुक्त किया गया. राजा ने कहा, ‘‘सेना म्म नियुक्ति विवादित हो गई है, न्यायपालिका में नियुक्ति पहले ही विवादित है, सीवीसी, सीबीआई निदेशक और केंद्रीय सूचना आयोग, इन सभी में शीर्ष स्तर पर नियुक्तियां बहुत विवादित हो रही हैं.’
इसे ‘‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए राजा ने कहा कि यह लोकतंत्र और देश के हित में नहीं है. नये मुख्य न्यायाधीश की संभावित नियुक्ति के संबंध में कांग्रेस की आलोचनात्मक टिप्पणियों का जवाब देते हुए भाजपा ने कहा है कि विपक्षी दल को समयपूर्व निष्कर्ष तक नहीं पहुंचना चाहिए और उचित समय का इंतजार करना चाहिए. उसने कहा कि अगर सबसे अधिक किसी पार्टी ने लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया है तो वह कांगे्रस है. भाजपा ने हमेशा लोकतांत्रिक मानदंडो का पालन किया है.