नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर डेढ़ दशक तक रहने के बाद दो महीने पहले आम आदमी पार्टी की जीत के चलते सत्ता से बाहर हुईं शीला दीक्षित ने आज कहा कि दिल्ली के लिए उनका सपना अधर में रह गया और अरविंद केजरीवाल ने उनके खिलाफ बदले की भावना से काम किया. 75 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री हाल ही में उस आलीशान सरकारी बंगले से एक किराये के घर में गयीं हैं जहां वह करीब एक दशक तक रहीं. अब वह फिल्में देखने के लिए वक्त निकालती हैं और अपने निजी अपार्टमेंट की आंतरिक साज-सज्ज पर ध्यान दे रहीं हैं.
कांग्रेस नेता शीला दीक्षित यूं तो बोलते समय शब्दों का ध्यान रखती हैं लेकिन पार्टी तथा खुद की हार पर उनकी निराशा साफ नजर आ जाती है. वह बिजली, शिक्षा, सड़कों और अस्पतालों आदि का हवाला देते हुए अपनी उपलब्धियां याद करती हैं और इस ओर भी इशारा करती हैं कि उनके कार्यकाल में सरकारी स्कूलों में बच्चों के उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 97 फीसदी रहा जो देश में सर्वोच्च था. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हाल ही में इस्तीफा दे चुके अरविंद केजरीवाल पर वोट लेने के लिए असंभव वायदे करने के आरोप लगाते हुए दीक्षित ने कहा, ‘‘दिल्ली के लिए मेरा सपना अधर में रह गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी ने मुफ्त पानी, सस्ती बिजली, आवास, नौकरियों के वायदे केवल उनसे पीछे हट जाने के लिए किये थे.’’
दीक्षित ने 49 दिन तक सत्ता में रही आप पार्टी पर उनके खिलाफ मामले दर्ज कराके बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया. केजरीवाल ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्टरीट लाइट लगाने में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. इस मामले में कैग ने दीक्षित को दोषी ठहराया था. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने कुछ गलत नहीं किया. यह बदले की भावना से की गयी कार्रवाई है.’’ साल 2008 के विधानसभा चुनावों से पहले सरकारी धन के दुरपयोग के आरोपों से जुड़े एक और मामले में उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी जिस पर भारत के राष्ट्रपति ने पहले ही फैसला दे दिया है, जिन्होंने कहा कि कोई मामला नहीं है.’’, क्योंकि वह मुख्यमंत्री थीं.
लोकसभा चुनावों में आप के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल देश के अन्य हिस्सों में भी निश्चित रुप से दिल्ली के प्रयोग को आजमाने की कोशिश करेंगे लेकिन सवाल यह है कि देश अराजकता चाहेगा या सुशासन और विकास की ओर बढ़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि 99.99 प्रतिशत भारतीय कहेंगे कि वे स्थिर सरकार चाहते हैं. वे ऐसी सरकार चाहेंगे जो संविधान और कानून का पालन करती हो.’’दीक्षित ने कहा, ‘‘आप को लगता है कि वे ही ईमानदार हैं और बाकी सब बेइमान हैं.’’ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने पर उनकी पार्टी सत्ता में वापस आने के लिए संघर्ष करेगी.
दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार की वजह पूछे जाने पर दीक्षित ने कहा कि संभवत: राजधानी की जनता एक तरह का बदलाव चाहती थी. क्या वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगी, इस प्रश्न पर दिये जवाब में उन्होंने विधानसभा चुनाव होने पर उनमें किस्मत आजमाने की अपनी इच्छा इशारों में जाहिर की. अगले कुछ सालों में दीक्षित खुद को कहां देखती हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘अगर मुङो मौका मिलेगा तो मैं :राजनीतिक रुप से सक्रिय: रहूंगी.’’ दीक्षित की सरकार ने 2002 में दिल्ली में बिजली वितरण को निजी क्षेत्र में दिया था. उन्होंने कहा कि शहर में बिजली के दाम सबसे कम थे और केजरीवाल ने बिना बात के इसे मुद्दा बनाया. विधानसभा चुनावों में हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अपना वक्त दोस्तों से मिलने में, फिल्में देखने आदि में बिताती हैं.