नयी दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) वर्ष 2010 में संपन्न राष्ट्रमंडल खेलों के सिलसिले में विभिन्न एजेंसियों द्वारा 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किए गए करीब 30 कार्यों की कथित भ्रष्टाचार के लिए जांच कर रहा है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह 30 कार्य केंद्रीय और दिल्ली सरकार की एजेंसियों ने किए जिनमें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति शामिल हैं. जांच का कार्य अलग अलग चरणों में है. राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी और सार्वजनिक धन की सहायता से तैयार 9,000 परियोजनाओं में कम से कम 37 सरकारी विभागों ने 13,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की थी.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग वर्ष 2010 से राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े, भ्रष्टाचार के 70 से अधिक मामलों की जांच कर रहा है और करीब 20 शिकायतों में वह अपनी जांच बंद कर चुका है. कथित भ्रष्टाचार के कुछ मामलों को आगे की जांच के लिए आयोग सीबीआई के पास भेज चुका है.
एक सूत्र ने बताया मामलों की जांच अलग अलग चरणों में है. सीवीसी ने विभिन्न विभागों को भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपनी टिप्पणियां देने को कहा है. ज्यादातर मामलों में संबद्ध विभागों ने प्रतिक्रिया देर से दी. आयोग इन विभागों के साथ मामले उठा रहा है. राष्ट्रीय राजधानी में 3 अक्तूबर 2010 से 14 अक्तूबर 2010 तक राष्ट्रमंडल खेल आयोजित किए गए थे. इन खेलों से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
इन आरोपों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वी के शुंगलू की अध्यक्षता में जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की. समिति ने प्रधानमंत्री कार्यालय को छह रिपोर्ट्स सौंपी जिनमें राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में कई वित्तीय और प्रबंधन से जुड़ी अनियमितताओं का संकेत किया गया था. रक्षा मंत्री ए के एंटनी की अगुवाई में मंत्रियों का एक समूह इन रिपोर्ट्स का अध्ययन कर रहा है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग की मुख्य प्रौद्योगिकी अध्ययन शाखा (चीफ टेक्नीकल एग्जामिनेशन विंग) राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े 26 कार्यों की जांच कर रहा है और इन कार्यों की सूची आयोग की वेबसाइट पर भी है. इन कार्यों पर करीब 3,316.58 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
सूची में सड़कों पर लाइट लगाने के काम में और सलीमगढ़ किले से वेलोड्रोम रोड तक रिंगरोड बाइपास के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार के मामले भी शामिल हैं. इन कार्यों पर 300 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च हुई थी. अरविंद केजरीवाल सरकार ने इन मामलों को जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के पास भी भेजा है.