नयी दिल्ली: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज घोषणा की कि मनरेगा के तहत मजदूरी दर एक अप्रैल से बढ़ाई जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत मजदूरी में समानता लाने की आवश्यकता है.
रमेश ने कहा, ‘‘मनरेगा के तहत मजदूरी दर एक अप्रैल से बढ़ाई जाएगी और इस संबंध में अधिसूचना इस हफ्ते के उत्तरार्ध में शुरु होने वाले संसद के सत्र में रखी जाएगी.’’ मनरेगा और न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत दी जाने वाली मजदूरी में असमानता का उल्लेख करते हुए रमेश ने कहा कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और राजस्थान समेत 14 राज्यों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत निर्धारित दर से कम है.
नौवें मनरेगा दिवस पर यहां एक कार्यक्रम में रमेश ने कहा कि वेतन में समानता लाने के लिए मनरेगा में संशोधन करने की आवश्यकता है और एक विशेषज्ञ समिति मामले की पड़ताल कर रही है. रमेश ने कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरी दर को पहले ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ दिया गया है और उसी अनुसार सालाना उसपर पुनर्विचार किया जा रहा है
रमेश ने अधिकारियों से छोटे और सीमांत किसानों को इस योजना के तहत अपनी जमीन पर भूमि के वर्गीकरण और सिंचाई योजनाएं शुरु करने के लिए प्रेरित करने और मदद करने का आह्वान किया. साथ ही जोर दिया कि सिर्फ 10 फीसदी किसान अब तक इस प्रावधान से लाभान्वित हुए हैं. उन्होंने अधिकारियों से मनरेगा के श्रमिकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाने को कहा. सिर्फ 15 से 20 फीसदी श्रमिक फिलहाल इसके दायरे में हैं.रमेश ने कहा कि साल 2014-15 को मनरेगा के लिए कन्वज्रेंस वर्ष के तौर पर मनाया जाना चाहिए.
इस अवसर पर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि अधिनियम क्रांति लाया है और ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में पलायन को रोकने में मदद की है.एक अन्य ग्रामीण विकास राज्य मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने भाषण में कहा कि योजना ने टिकाउ संपत्तियां पैदा करने में मदद की है. योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह ने कहा कि विगत तीन से चार वर्षों में मनरेगा को अधिक लचीला बनाया गया है और राज्य के निर्देश के अनुसार तकरीबन 30 फीसदी नए काम जोड़े हैं.