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SAUNI प्रोजेक्ट उद्घाटन : नरेंद्र मोदी ने लिया आनंदीबेन का नाम, लोगों से पूछा केम छो?

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गृहप्रदेश गुजरात पहुंचे हैं. अहमदाबाद में चीन के राष्ट्रपति शीकेभव्य स्वागत के बादमोदी की प्रधानमंत्री के रूप में यह अपने गृहराज्यमेंदूसरी महत्वपूर्ण मौजूदगी है.हालांकिवे बीते पखवाड़ेभी गांधीनगर के बेहदछोटे दौरे पर स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख को श्रद्धांजलि देनेगयेथे, लेकिनइसबारकादौरा कूटनीतिक मायने व आत्मीय रिश्तों से अलगराजनीतिक महत्व रखता […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गृहप्रदेश गुजरात पहुंचे हैं. अहमदाबाद में चीन के राष्ट्रपति शीकेभव्य स्वागत के बादमोदी की प्रधानमंत्री के रूप में यह अपने गृहराज्यमेंदूसरी महत्वपूर्ण मौजूदगी है.हालांकिवे बीते पखवाड़ेभी गांधीनगर के बेहदछोटे दौरे पर स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख को श्रद्धांजलि देनेगयेथे, लेकिनइसबारकादौरा कूटनीतिक मायने व आत्मीय रिश्तों से अलगराजनीतिक महत्व रखता है. आप कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात का यह पहला राजनीतिक दौरा है, जहांउन्होंने सौराष्ट्र के नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना (सौउनी) का उद्घाटन किया और पटेलों के प्रभाव वाले जामनगर के धारोल में एक जनसभा को संबोधित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जामनगर में गुजराती में जनसभा को संबोधित किया और बारंबार उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री व पटेल नेता (सबसे बड़ा जातीय समुदाय) आनंदीबेन पटेल का नाम लिया. उन्होंने गुजराती में लोगों से पूछा – केम छो?

जनसभा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना(सउनी) का उदघाटन किया, जिससे जल संकट से जूझ रहे इस इलाके में लोगों को सिंचाई सुविधा मिल सकेगी. 12 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन भी 2012 में तब मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने ही किया था.

गुजराती, आनंदी बेन पटेल और केम छो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात में अपना पूरा संबोधन गुजराती में भी किया. अपने भाषण की शुरुआत करते हुए उन्होंने लोगों से पूछा केम छो यानी कैसे हैं? जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब वे कई बार अपना संबोधन हिंदी में करते थे, लेकिन जब वे प्रधानमंत्री के रूप में गुजरात पहुंचे तो गुजराती में बोले. तब हिंदी में संबोधित कर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदीराष्ट्रीय फलक पर अपना विस्तार चाहते थे, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजराती में बोलकरगुजरातियों केकरीब जाना चाहते हैं, जिनके बारे में राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि वे भाजपा व नरेंद्र मोदी से थोड़े दूर हुए हैं. इसलिए हाल में भाजपा ने इस कारण सत्ता परिवर्तन करते हुए आनंदी बेन पटेल को हटा कर संगठन के मंझे हुए आदमी विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया है.

पानी का प्रवाह वोट के प्रवाह से जुड़ा मुद्दा है

गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में पानी का प्रवाह वोट के प्रवाह से भी जुड़ा मुद्दा है. दो दशक बाद इस इलाके में पानी की निर्बाध आपूर्ति अब हो सकेगी. भारतीय जनता पार्टी को विश्वास है कि इससे उसेपटेलव दलित आंदोलन से हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी और 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से वह जनता का विश्वास हासिल कर सकेगी. प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदीनेगुजरातीमें लोगों को संबोधित करतेहुएपानीके संचय पर जोर दिया.

हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भरत सोलंकी ने नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया है और कहा है कि प्रधानमंत्री की यह पहल किसानों का ध्यान खींचने के लिए है जो उनसे खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा किभाजपा को चुनाव का भय सता रहा है. वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे गुजरात का विकास नहीं देख सकते, यूपीए ने ही नर्मदा योजना को रोक रखा था, जिसे मोदी ने खुलवाया.

हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकुर और आम आदमी पार्टी

नरेंद्र मोदी के गांधीनगर से दिल्ली शिफ्ट होने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में गुजरात में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी व अल्पेश ठाकुर जैसे नये युवा नेता उभरे हैं. हार्दिक पटेल को पटेल आंदोलन तो जिग्नेश मेवाणी को दलित आंदोलन के कारण पहचान मिली है. हार्दिक वजिग्नेशमेवाणी सत्ताविरोधी मतों के धुव्रीकरण के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में भूमिका अदा कर सकते हैं. अल्पेश ठाकुर अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में उभरे हैं. वे भी अहम भूमिका निभाएंगे. जिग्नेश मेवाणी को गिर सोमनाथ जिले के ऊना में दलितों की पिटाई का मामला उजागर होने के बाद शुरू हुए दलित आंदोलन से पहचान मिली. हालांकि कानून के डिग्रीधारी35वर्षीय मेवाणी का अांदोलनों से लंबा नाता रहा है. वे ऊना दलित अत्याचार लड़त समिति के संयोजक हैं. गुजरात की अबतक की दो ध्रुवीय राजनीति तीन ध्रुवीय होने के पूरे आसार हैं. राज्य में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल व मायावती अब अपने लिए अच्छी संभावना महसूस कर रहे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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