नयी दिल्ली: महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने सीबीआई के आग्रह को ठुकराते समय राज्य कैबिनेट से सलाह नहीं ली जिसने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर अभियोजन चलाने की मंजूरी देने की मांग की थी. राज्यपाल का मानना था कि ‘‘इस बात की संभावना बहुत कम’’ है कि वह मामले में ‘‘निष्पक्ष सहयोग एवं सलाह’’ देगी.
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी को आरटीआई अधिनियम के तहत मुहैया कराए गए 13 पन्ने के अपने आदेश में राज्यपाल ने एजेंसी की तरफ से लगाए गए आरोपों पर सवाल खड़े किए और कहा कि रिपोर्ट में कांग्रेस नेता के खिलाफ कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया.
अभियोजन की मंजूरी देने से इंकार करते हुए उन्होंने 13 पन्ने के फैसले में कहा, ‘‘सीबीआई ने चव्हाण पर अभियोजन चलाने की मंजूरी मांगी है क्योंकि वह राजस्व मंत्री थे और उसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने जिस दौरान अपराध होने के आरोप लगाए गए.’’ उस दौरान चव्हाण मंत्रिपरिषद् का हिस्सा थे और बाद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.