केंद्रपाडा (ओडिशा): कारगिल युद्ध में कुर्बानी देने वाले एक सैनिक की मां और विधवा पिछले 17 वर्ष से मुआवजे में हिस्से को लेकर कानूनी लडाई लड रही हैं. जिले के अधिकारियों ने बताया कि लांस नायक सच्चिदानंद मलिक ने देश के लिए कारगिल लडाई में हिस्सा लिया था और 28 जून 1999 को वह शहीद हो गए थे.
इसके बाद सेना, केंद्र और राज्य सरकार ने शहीद के परिवार को 22. 70 लाख रुपये का मुआवजा दिया था. अधिकारियों ने कहा कि उनकी पत्नी निवेदिता मलिक को सरकारी नौकरी और पूरी पारिवारिक पेंशन मिली.
सरकार के अलावा अन्य एजेंसियों और लोगों ने मृतक के परिजन को वित्तीय सहयोग दिया.
अधिकारियों ने वर्ष 2000 में बताया था कि शहीद की विधवा को मुआवजे की पूरी राशि 22.70 लाख रुपये मिलने के बाद उनकी 75 वर्षीय मां मालतीलता ने मुआवजे में हिस्सा के लिए स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया.
केंद्रपाडा के सिविल न्यायाधीश (वरीय संभाग) ने 2007 में आदेश दिया था कि सैनिक की मां भी मुआवजे में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के मुताबिक एक तिहाई की हिस्सेदार हैं.
अदालत ने कहा था कि निवेदिता और उनका नाबालिग बेटा सौम्य रंजन मलिक कानूनी रुप से केवल दो…तिहाई हिस्से के हकदार हैं.
बहरहाल विधवा ने निचली अदालत के फैसले को अपीली अदालत में चुनौती दी और अपीली अदालत का निर्देश नहीं आने के कारण तब से मुआवजे की रकम बैंक खाते में ही पडी हुई है.
केंद्रपाडा पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष महेश्वर कार ने कहा कि कारगिल युद्ध के नायक की मां बेहतर बर्ताव की हकदार हैं.