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प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार NSG,पाकिस्‍तान,राजन और विदेश नीति के बारे में खुलकर बोला

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेअपनीसरकारकादो साल का कार्यकाल पूरा होने पर पहली बार किसी टीवी चैनलव भारतीय मीडिया संस्थान कोइंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ को दिये इंटरव्यू में उन्होंने एनएसजी की सदस्यता ना मिलने, रघुराम राजन के आरबीआई गर्वनर के रूप […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेअपनीसरकारकादो साल का कार्यकाल पूरा होने पर पहली बार किसी टीवी चैनलव भारतीय मीडिया संस्थान कोइंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ को दिये इंटरव्यू में उन्होंने एनएसजी की सदस्यता ना मिलने, रघुराम राजन के आरबीआई गर्वनर के रूप कार्यकाल जारी ना रखने, पार्टी के कई नेताओं की बयानबाजी, भारत की विदेश नीति,पाकिस्तानसमेत कई अहम सवालों के जवाब दिये.

दो साल के कार्यकाल पर क्या कहा प्रधानमंत्री ने

40 प्रतिशत कार्यकाल चला गया क्या हासिल हुआ इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा, काफी कम समय में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. किसी एक मुद्दे पर नहीं किसी भी मुद्दे को उठा लीजिए पुरानी सरकार के काम से तुलना कर लीजिए. मैं नया था अनुभव नहीं था. अब निराशा का नामोनिशान नहीं है. यह सिर्फ शब्दों में नहीं है हमने इसे हासिल किया है.

विदेश नीति पर प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

तीस साल तक देश में अस्थिर सरकार थी. पूरी तरह से जनता ने किसी सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं दिया इसका एक असर होता है. वो देखते हैं कि सरकार की अपनी पकड़ उस देश में कैसी है. यह सबसे बड़ा लाभ है. यह पहला कारण था. दूसरा कारण विश्व मुझे ठीक से जानता नहीं था. दुनिया को विश्वास जगाने में मोदी का व्यक्तित्व रूकावट नहींबननाचाहिए. मेरे लिए जरूरी था कि सबसे मिलना, विदेश नीति से ज्यादा विदेश संबंध पर ध्यान दिया. तीसरा हम एक टीम के रूप में काम करते हैं विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री सबने मिलकर एक टीम के रूप में काम किया. पहले बिखराव था. इसे हमने खत्म किया. विदेश नीति पहले दो शक्तियों के आसपास चलती थी. यह समझने में देर हो गयी की अब बॉयपोलर के हिसाब से विदेश नीति नहीं चलती. इस सबका लाभ हो रहा है हम विश्व से जुड़ रहे हैं. हम छोटे देशों को छोटे ना मानें, सबकी अहमियत बराबर है. एक वक्त था जब हम लहरें गिनते थे अब पतवार लेकर अपनी दिशा तय करने का वक्त आ गया है.

चीनके रुख व एनएसजीपर प्रधानमंत्री

चीन के साथ बातचीत होती है और आगे भी जारी रहेगी. विपरीत विचार के होने के बाद भी बातचीत जारी रखनी होगी. यह सिर्फ एक या दो समस्या नहीं है. कई समस्या है जिसका बातचीत के साथ हल होगा. समस्या के साथ चीन कॉपरेटिव रहता है लेकिन सिद्धांत के तौर पर हम औऱ चीन भी अपनी बात रखते हैं. हम अपना हित चीन के सामने आंख में आंख मिलाकर कहते हैं. बातचीत से ही हल निकलेगा. विदेश नीति उनकी विचारधारा बदलने के लिए नहीं होती एक रास्ता निकालने के लिए होती है.

प्रधानमंत्री ने एनएसजी के सवाल पर कहा कि भारत ने लगातार सारे प्रयास किये हैं, इस सरकार ने ही नहीं पूर्व की सरकार ने भी किये हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हमारी आलोचना इसलिए हुई क्योंकि वहां हमें सफलता ज्यादा मिल गयी. उन्होंने कहा कि हम अलग हैं और वे (चीन) अलग हैं. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेश नीति माइंससेट बदलने के लिए नहीं होता.

मजाकिया होने से डरते हैं प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा आजकल मजाक करने से डर लगता है पता नहीं 24 घंटे के न्यूज चैनल कौन सी चीज कहां से उठाकर जोड़ दें. कहावत पर भी यह कहीं से कुछ जोड़ कर दिखा देंगे. पहले मैं बहुत मजाकिया था, कई भाषणों में खुलकर बात करता था पर अब सतर्क रहता हूं.

मीडिया से आग्रह

भारत की मीडिया से आग्रह है कि हम अपनी नीतियों को पाकिस्तान से जोड़कर देखना बंद करें. हमें अपनी नीतियों को लेकर पाकिस्तान की चिंता नहीं करनी चाहिए. हम अमेरिका के साथ बेहतर संबंध बनाने में सफल रहे हैं और पाकिस्तान के अखबारों में भी इसकी चर्चा रही है.

भारत-पाकिस्तान गरीबी से लड़ें

हमारे इरादे में कोई संदेह नहीं है जिसे जो काम करना हो कर रहा है. टेबल पर जो काम होना है वो रहा है. सेना के जवान अपना काम कर रहे हैं. घुसपैठ और आतंकियों को अब मुंहतोड़ जवाब मिल रहा है. पाकिस्तान में कई प्रकार के फोर्स काम कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य शांति और भारत के हितों की रक्षा है. हम दोस्ती चाहते हैं इसलिए उन्हें शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया. पाकिस्तान के साथ लक्ष्मण रेखा का फैसला किसके साथ करें पता नहीं सरकार के साथ कि दूसरे एक्टिव लोगों के साथ. विश्व भारत की भूमिका को समझ रहा है. अब पाक को जवाब देना मुश्किल हो रहा है. विश्व आज भारत के आतंकवाद से हुएनुकसान को समझ रहा है.पहले इसे हमारी कानून व्यवस्था से जोड़ा जाता था.

अर्थव्यवस्था पर क्या कहते हैं प्रधानमंत्री

मेरे विकास का पारामीटर है सामान्य गरीब को कैसे लाभ मिले. मेरी अर्थव्यस्था इसी के इर्द-गिर्दघूमतीहै. आज देश की स्थिति ऐसी है कि गरीबको ताकतवार बनायेंऔर हमारी सारी योजनाएं इसी पर हैं. प्रधानमंत्री जन धन योजना से गरीबों को लग रहा है कि मैं इस अर्थव्यवस्था का हिस्सा हूं. स्वच्छता अभियान से भी लाभ हुआ गंदगी से सबसे ज्यादा नुकसान गरीब को होता है गरीब बीमार पड़ता है. स्टार्टअप से लोगों को खड़ा करने की कोशिश की. सबसे ज्यादा बिजली, कोयला, रोड इसी साल हुआ. इस तरह के काम से रोजगार के उपलब्ध हो रहा है.

नेताओं के भड़काऊ बयान पर पीएम ने क्या कहा

प्रधानमंत्री ने भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें हीरो नहीं बनाया जाना चाहिए. यूपी चुनाव भी विकास के मुद्दे पर केंद्रित होगा. देश की नयी पीढ़ी विकास की राजनीति पर विश्वास करती है. जो समस्याएं मौजूद है उसका हल भी विकास से ही संभव है.

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