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जानें, सार्वानंद सोनोवाल की जिंदगी से जुड़ी अहम बातें

इंटरनेट डेस्क सर्बानंद सोनोवाल ने आज असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल करने के बाद उन्हें भाजपा के युवा चेहरा के रूप में देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की तरह वो भाजपा शासित राज्य का नया चेहरा होंगे. 2014 में जब नरेंद्र मोदी की […]

इंटरनेट डेस्क

सर्बानंद सोनोवाल ने आज असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल करने के बाद उन्हें भाजपा के युवा चेहरा के रूप में देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की तरह वो भाजपा शासित राज्य का नया चेहरा होंगे.
2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो पहली बार सोनोवाल सुर्खियों में आये थे. नरेंद्र मोदी के कैबिनेट मेंसर्बानंदसोनोवाल के पास खेल मंत्रालय का प्रभार था. मात्र 2 साल मेंसर्बानंदसोनोवालके राजनीतिककैरियरने उन तमाम बुलंदियों को छुआ, जिसे पाने की चाहत देश में हर राजनेता की होती है.
एक साधारण छात्र नेता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर के पीछे लंबी कहानी है. हमेशा मुस्कराते रहने वाले सोनोवाल की छवि ईमानदार नेता की रही है. सोनोवाल का जन्म 31 अक्तूबर 1962 को डिब्रूगढ़ में हुआ था. सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से क्रीमिनल जस्टिस में स्नातक किया फिर गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की.
साल 1992 से 1999 तक सोनोवाल ऑल असम स्टूडेंट यूनियन का अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके बाद उन्होंने असम गण परिषद की सदस्यता ले ली. साल 2001 में सोनोवाल पहली बार विधायक बने फिर 2004 में सार्बानंद सोनोवाल लोकसभा चुनाव जीते. असम गण परिषद से मतभेद होने के बाद सोनोवाल ने भाजपा ज्वाइन कर लिया था. सार्बानंद सोनोवाल असम के कछारी जनजातीय समुदाय से आते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में आइएमडीटी कानून खारिज कराकर चमके थे सोनोवाल
सर्बानंद सोनोवाल पहली बार तब सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अवैध प्रवासियों के मुद्दे को लेकरएक याचिका दायर की थी.सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 22 साल पुराने विवादास्पद अवैध प्रवासी पहचान ट्रिब्यूनल (आईएमडीटी) कानून को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था.
सार्वानंद की गिनती प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी लोगों में होती है. 54 वर्षीय अविवाहित सोनोवाल पुरानी फिल्में देखना काफी पसंद है. असम की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो सत्ता संभालने के बाद असम में अवैध रूप से बंगलादेश का घुसपैठ मुद्दा को हल करना उनकी प्राथमिकता होगी.

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