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निजी क्षेत्र की कंपनियों की आडिट में कैग की भूमिका नहीं : फिक्की

नयी दिल्ली: दूरसंचार और बिजली क्षेत्र की निजी कंपनियों के खातों की जांच भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की पहल के बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की ने आज कहा कि निजी कंपनियों की आडिट में कैग का कोई स्थान नहीं है. संगठन ने कहा कि कैग सरकारी खचरें की आडिट के लिए है […]

नयी दिल्ली: दूरसंचार और बिजली क्षेत्र की निजी कंपनियों के खातों की जांच भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की पहल के बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की ने आज कहा कि निजी कंपनियों की आडिट में कैग का कोई स्थान नहीं है. संगठन ने कहा कि कैग सरकारी खचरें की आडिट के लिए है और वह सरकारी कंपनियों के खातों की जांच परख कर सकता है.

फिक्की के नवनिर्वाचित अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा ‘‘जहां तक कैग की आडिट का मामला है, हमारा मानना है कि कैग की स्थापना सरकारी लेनदेन और सरकारी फर्मों की आडिट के लिये की गयी है, इसलिये मेरे मुताबिक निजी कंपनियों के खातों को जांचने में कैग की कोई भूमिका नहीं है.’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत कैग निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के खातों की भी जांच कर सकता है.

न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और वी कामेश्वर राव की पीठ ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) अधिनियम के तहत निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों की लेखापरीक्षा करने की अनुमति देश की शीर्ष आडिट संस्था कैग को दी है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी निजी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों को कैग के साथ खातों की लेखापरीक्षा में सहयोग नहीं करने पर उनका लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है.

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