नयी दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने मंगलवार को आर्ट ऑफ लिविंग के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के आयोजन के लिए हुई लंबी सुनवाई के बादइसे अगले दिन यानी मंगलवार की सुनवाई तक के लिए टाल दिया.एनजीटी ने मामले की सुनवाई करते हुए आज केंद्र से पूछा कि इस आयोजन के लिए पर्यावरण मंजूरी की जरूरत क्यों नहीं है? आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकरकीसंस्थाआर्ट आॅफ लिविंगकेमामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने आज केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय सहित अन्य पक्षों से कई सवाल पूछे.केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय खुद से पूछे गये सवालों का जवाब कल देगा. दिल्ली विकास प्राधिकरण पर आरोप है कि उसने नियमों को ताक पर रख कर आर्ट ऑफ लिविंग को इस आयोजन की मंजूरी दी. आज इस मामले में दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इस आयोजन के लिए पुलिस व अग्नि संबंधी सुरक्षा की मंजूरी नहीं ली गयी है.
इस मामले में श्री श्री रविशंकर ने मीडिया में बयान दिया है कि अदालत में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कहा है कि हमने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है. वहीं, एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय व केंद्र सरकार से तीन सवाल पूछे हैं, जिसका वह कल जवाब देगा. पूछे गये सवाल इस प्रकार हैं : क्या आपके पास इस संबंध में पर्यावरणीय प्रभाव वाला कोई अध्ययन है? क्या वहां पुल निर्माण के संबंध में कोई मंजूरी ली गयी थी? आप कैसे यमुना को सुरक्षित रखेंगे? उल्लेखनीय है कि आयोजन स्थल के पास एक पिपा पुल का निर्माण किया गया है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह कार्य रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के आदेश से सेना ने किया है. वहीं, इस आयोजन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के शामिल होने की मीडिया में आयी खबरों का राष्ट्रपति भवन ने खंडन कर दिया है.
क्या है पूरा मामला?
श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट आॅफ लिविंग दिल्ली में यमुना के तट पर यमुना बैंक इलाके में वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवलकाआयोजन करने वाली है. इस समारोह का आयोजन 11 से 13 मार्च तक किया जाना है. एनजीटी ने दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण व आर्ट आॅफ लिविंग के के प्रमुख श्री श्री रविशंकर को इस संबंध में 11 फरवरी को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमारने यमुना जियो अभियान के संचालक वपर्यावरणविद् मनोज मिश्र की अपील पर जारी किया था. मिश्र का कहना है कि यमुना फ्लड्स प्लेन कई तरह की संवेदनशील जैविक गतिविधियों का स्थल है, लेकिन उस जगह की हरियाली को जलाकर उस पर मलबा डाल कर पूरे क्षेत्र को समतल किया गया है, जिससे यमुना के माहौल को नुकसान हुआ है.
आरोप है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एनजीटी के अादेशों के खिलाफ इस आयोजन को मंजूरी दे दी.