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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज की शोभन सरकार की याचिका

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज स्वयंभू संत शोभन सरकार की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और फतेहपुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे उस गांव में खुदाई की इजाजत दें जहां, शोभन सरकार के मुताबिक, सोने का भंडार दफन है. […]

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज स्वयंभू संत शोभन सरकार की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और फतेहपुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे उस गांव में खुदाई की इजाजत दें जहां, शोभन सरकार के मुताबिक, सोने का भंडार दफन है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की खंडपीठ ने यह कहते हुए शोभन सरकार की याचिका खारिज कर दी, ‘‘किसी तरह की राहत देने का ऐसा कोई मामला नहीं बनता जैसा कि याचिका में दावा किया गया है.’’

शोभन सरकार ने दावा किया था, ‘‘फतेहपुर जिले के आदमपुर गांव में गंगा नदी के किनारे करीब 2,500 टन सोने का छुपा हुआ भंडार है.’’उन्होंने दावा किया कि वह उस जगह पर खुदाई का खर्च वहन करने के लिए तैयार हैं और इसके लिए वह धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आईएसएम) तथा कानुपर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के विशेषज्ञों की मदद लेंगे.

हालांकि, अदालत ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि शोभन सरकार ‘‘किसी तरह की इजाजत पाने का अपना अधिकार साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं.’’

गौरतलब है कि शोभन सरकार के ऐसे ही एक दावे के बाद उन्नाव जिले के डौड़िया-खेड़ा गांव में भी खुदाई अभियान चलाया गया था. बाद में शोभन सरकार ने अभियान की नाकामी का ठीकरा यह कहते हुए फोड़ा कि उत्खनन करने वालों ने खुदाई की जगह पर उन्हें नहीं बुलाया, इस वजह से ऐसा हुआ.

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