नयी दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से आज कहा कि उनकी पार्टी लोकपाल विधेयक को पूरी गंभीरता से ले रही है लेकिन सरकार उसे संसद से पारित कराने को लेकर ईमानदार नहीं है.
जेटली ने लोकपाल विधेयक को संसद द्वारा पारित कराने की मांग पर अनशन पर बैठे हजारे को लिखे पत्र में सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 27 दिसंबर 2011 को लोकसभा में अपने बहुमत के बल पर लोकपाल के सृजन के लिए जो विधेयक पारित करवाया वह ‘‘स्वतंत्र संस्थान ना होकर सरकार के नियंत्रण में रहने वाला निकाय’’ होगा.
हजारे के पत्र के जवाब में जेटली ने अपने खत में कहा, ‘‘मेरी पार्टी और मैं सार्वजनिक जवाबदेही के प्रति उच्चस्थ मापदंडों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और इसलिए इस बात में विश्वास रखते हैं कि लोकपाल को तुरंत स्थापित किया जाना चाहिए.’’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘बिला शुब्हा, ‘सरकारी’ लोकपाल बनाना ना तो आपका उद्देश्य हो सकता है और ना हमारा.’’
उन्होंने कहा कि लोकसभा में पारित होने के बाद 29 दिसंबर 2011 को राज्यसभा में सरकार इस विधेयक को लेकर आई लेकिन चूंकि सरकार ‘सरकारी लोकपाल’ बनाना चाह रही थी इसलिए संपूर्ण विपक्ष ने उसके प्रावधानों का विरोध किया. हजारे लोकपाल विधेयक पारित कराने का दबाव बनाने के लिए मंगलवार से महाराष्ट्र के अपने गांव रालेगण सिद्धी में अनशन पर बैठे हैं.