नयी दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि राजकोषीय अनुशासन के मोर्चे पर सरकार किसी तरह का समझौता नहीं करेगी. दिल्ली और राजस्थान सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बावजूद सरकार ने राजकोषीय मोर्चे पर किसी तरह की ढील न देने की प्रतिबद्धता जताई है. वित्त मंत्री ने यहां दिल्ली आर्थिक सम्मेलन 2013 का उद्घाटन करते हुए जमाखोरी रोकने में असफल रहने के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि इसी वजह से मौजूदा सरकार को उंची मुद्रास्फीति की कीमत चुकानी पड़ी.
उन्होंने कहा, ‘‘एजेंडा साफ है. राजकोषीय घाटे को कम करना प्राथमिकताओं की सूची में सबसे उपर है. कोई समझौता नहीं हो सकता . और मैं सरकार की ओर से कह रहा हूं . कि राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने के मार्ग पर अग्रसर रहने और वित्त वर्ष 2016-17 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत के बराबर लाने का लक्ष्य प्राप्त करने तक कदम दर कदम, साल दर साल प्रयास जारी रखने के फैसले पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.’’सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 4.8 फीसद के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है.रेटिंग एजेंसी फिच ने कल आशंका जाहिर की कि हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से केंद्र का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है क्योंकि संभावना है कि व्यय कटौती के खिलाफ राजनीतिक दबाव बढ़ेगा.