नयी दिल्ली : नक्लसी हिंसा जारी रहने के बीच केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि माओवाद के विचारक उन सशस्त्र काडर से अधिक खतरनाक हैं जिन्होंने 2001 से अब तक 8100 से अधिक नागरिकों और पुलिसकर्मियों की हत्या की है.
नक्सली गतिविधियों को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बड़ी अड़चन बताते हुये सरकार ने कहा है कि विद्राहियों ने हजारों विकास एवं संरचना से संबंधित सुविधाओं को नष्ट किया है और विकास कार्य गरीबों तक पहुंचने से रोकने के लिये ईमानदार और सक्रिय जिला कलेक्टरों का अपहरण किया है. गृह मंत्रालय ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा है कि इस बीच शहरों और कस्बों में सीपीआई(माओवादी) के विचारक और समर्थकों ने सरकार को बदनाम करने के लिये शासन के खिलाफ सुनियोजित तरीके से दुष्प्रचार किया.
हलफनामे के अनुसार वास्तव में इन विचारकों ने ही माओवादी आन्दोलन को जीवित रखा है और कई मायनों में यह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के काडर से अधिक खतरनाक हैं. केंद्र सरकार ने इस समस्या पर केंद्रीय नीति तैयार करने हेतु सरकारों को निर्देश देने के लिये दायर जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत के नोटिस के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया है.
गृह मंत्रालय ने न्यायालय को सूचित किया है कि इन विचारकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने पर सीपीआई(माओवादी) का प्रचार तंत्र प्रवर्तन एजेन्सियों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करता है. हलफनामे के अनुसार इसके बावजूद केंद्र सरकार अपने सभी संसाधानों के बल पर इस समस्या से निबटने के लिये कटिबद्ध है और धीरे धीरे इसके अच्छे नतीजे भी निकल रहे हैं.