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सही दिशा में है मंगल अभियान, कल ऑर्बिट रेजिंग

चेन्नई : अपने सफल प्रक्षेपण के एक दिन बाद भारत का मंगल कक्षक अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में सही तरीके से काम कर रहा है और अब वह कल होने वाले कक्षा उन्नयन (ऑर्बिट रेजिंग) के लिए तैयार है. इसरो के प्रवक्ता ने फोन पर बताया, कल पृथ्वी की कक्षा में छोड़े जाने के बाद […]

चेन्नई : अपने सफल प्रक्षेपण के एक दिन बाद भारत का मंगल कक्षक अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में सही तरीके से काम कर रहा है और अब वह कल होने वाले कक्षा उन्नयन (ऑर्बिट रेजिंग) के लिए तैयार है.

इसरो के प्रवक्ता ने फोन पर बताया, कल पृथ्वी की कक्षा में छोड़े जाने के बाद से यह कक्षा में बिना किसी अवरोध के काम कर रहा है. हम कल शुरुआती घंटों में कक्षा उन्नयन की प्रक्रिया को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं. इसरो के सूत्रों ने कहा कि अभी मार्स ऑर्बिटर मिशन पृथ्वी के चारों ओर अपने पहले चरण में है.

पृथ्वी की कक्षा से बाहर 1 दिसंबर को सूर्य की कक्षा में जाने से पहले यह अंतरिक्षयान पांच बार पृथ्वी का चक्कर लगाएगा. इसके बाद यह सूर्य के चारों ओर से होता हुआ नौ माह तक चलने वाली मंगल ग्रह की यात्रा पर निकल जाएगा.

इसरो के पीएसएलवी सी25 ने 1,350 किलोग्राम के मंगलयान ऑर्बिटर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किए जाने के 44 मिनट बाद ही कल सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया था. अंतरिक्ष केंद्र से इसका प्रक्षेपण दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर हुआ था. इस तरह 450 करोड़ रुपए की लागत के इस अभियान का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है.

प्रक्षेपण के बाद से इस अभियान का नियंत्रण बेंगलूर स्थित इसरो टेलीमेटरी, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क में वैज्ञानिकों के हाथ में है.उपग्रह पर नजर रखने के सिस्टम वाली वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.एन2वाईओ.कॉम के अनुसार, मंगलयान नाइजीरिया को पार कर चुका है और दोपहर 1 बजकर 9 मिनट पर वह अफ्रीकी महाद्वीप में स्थित चाड के ऊपर उड़ रहा था.

भारत के इस मंगलयान के लिए धरती से न्यूनतम दूरी 264.1 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 23,903.6 किलोमीटर थी. इसका झुकाव 19.3 डिग्री था. हालांकि वेबसाइट के अनुसार, मंगलयान भारत के ऊपर नहीं उड़ेगा क्योंकि दोपहर को सोमालिया से अफ्रीकी महाद्वीप छोड़ने के बाद इसका प्रक्षेप पथ हिंद महासागर को पार कर जायेगा.

भारत के मंगल अभियान का इंटरनेशनल डिजाइनेटर या एनएसएसडीसी आईडी 2013-060ए है.इंटरनेशनल डिजाइनेटर उपग्रहों का अंतर्राष्टरीय नामकरण करने की एक प्रथा है. इसमें प्रक्षेपण का वर्ष, 3 अंकों में उस साल हुए प्रक्षेपणों की संख्या और तीन अक्षरों तक का एक कोड होता है जो किसी प्रक्षेपण में मौजूद भाग का क्रम दर्शाती है.

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