बेंगलूर : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आज कहा कि उनके मंत्रिमंडल में शुक्रवार तक मंत्री शामिल किए जायेंगे और साथ ही उन्होंने यह भी माना कि यह एक कठिन काम है.
सिद्धारमैया ने शपथ लेने के कुछ ही मिनट बाद उच्च अधिकारियों के साथ पहली बैठक की और उसके बाद उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा करने के लिए कल या परसों दिल्ली जायेंगे. उन्होंने कहा, इस बात पर चर्चा चल रही है कि यह (मंत्रिमंडल) द्विस्तरीय (कैबिनेट मंत्री एवं राज्य मंत्री) हो या नहीं और यह भी कि मंत्रियों को एक बार में शपथ दिलायी जाए या दो बार में .
उन्होंने कहा, यह एक संतुलित मंत्रिमंडल होगा. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का गठन एक कठिन काम है. उनका इशारा इस ओर था कि मंत्रिपद के लिए लॉबिंग चल ही है और जितने लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है उससे कहीं ज्यादा लोग मंत्री बनने की जुगत में हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि बृहस्पतिवार या शुक्रवार तक मंत्रिमंडल गठित हो जाएगा.
सिद्धारमैया ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री की शपथ ली
करीब ढाई दशक तक ‘जनता परिवार’ के सदस्य रहे सिद्दरमैया घोर कांग्रेस विरोधी रुख के लिए जाने जाते थे लेकिन राजनीतिक उतारचढ़ाव की दिशा ऐसी बदली कि आज वह कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बन गए.
गरीब किसान परिवार से जुड़े सिद्दरमैया 1980 के दशक से 2005 तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की जनता दल एस से उनका निष्कासन उन्हें राजनीतिक चौराहे पर ले आया जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. वह कर्नाटक के 22 वें मुख्यमंत्री बने हैं. कांग्रेस में आए उन्हें सात साल भी पूरे नहीं हुए कि उनकी जीवन भर की महत्वाकांक्षा आज पूरी हो गई जब उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
वर्ष 2004 में खंडित जनादेश मिलने के बाद कांग्रेस और जद(एस) ने गठबंधन सरकार बनाई. तब सिद्दरमैया जद(एस) में थे और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था. मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस के एन धरम सिंह को मिला था. सिद्दरमैया यह शिकायत कर रहे थे कि उनके सामने मुख्यमंत्री बनने का मौका था लेकिन देवे गौड़ा ने ऐसा नहीं होने दिया. वर्ष 2005 में उन्होंने खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर पेश किया. वह कुरुबा समुदाय से आते हैं जो कर्नाटक में तीसरे सबसे बड़ी संख्या वाली जाति है. लेकिन इसी दौरान देवेगौड़ा के पुत्र एच डी कुमारस्वामी को पार्टी के उभरते सितारे के तौर पर देखा गया और सिद्दरमैया जद(एस) से बर्खास्त कर दिए गए.
कभी जद (एस) की राज्य इकाई के अध्यक्ष रहे सिद्दरमैया के बारे में पार्टी के आलोचकों ने कहा कि देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के तौर पर आगे बढ़ाना चाहते थे इसलिए सिद्दरमैया को बर्खास्त किया गया. पेशे से वकील सिद्दरमैया ने तब कहा कि वह राजनीति से सन्यास ले कर फिर से वकालत करना चाहते हैं. क्षेत्रीय पार्टी बनाने से उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि वह धन बल नहीं जुटा सकते. कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही उन्हें अपने अपने यहां बुलाने की कोशिश की. सिद्दरमैया ने कहा कि भाजपा की विचारधारा से वह सहमत नहीं हैं. वर्ष 2006 में वह अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में चले गए. 64 वर्षीय सिद्दरमैया ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा कभी नहीं छिपाई. वर्ष 2004 के अलावा 1996 में भी मुख्यमंत्री पद उनसे देखते ही देखते दूर चला गया था.
देवेगौड़ा और जे एच पटेल दोनों के ही मुख्यमंत्रित्वकाल में सिद्दरमैया वित्त मंत्री बने और सात बार उन्होंने राज्य का बजट पेश किया. जनता के नेता के तौर पर उभरे सिद्दरमैया ने पिछले सप्ताह कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए सीधे मुकाबले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री एम मल्लिकाजरुन को पीछे छोड़ा. जनता परिवार के ‘उत्पाद’ रहे सिद्दरमैया डॉ राम मनोहर लोहिया के समाजवाद से इस कदर प्रभावित हुए थे कि वकालत का पेशा छोड़ कर राजनीति में आ गए. वर्ष 1983 में वह लोकदल पार्टी के टिकट पर मैसूर की चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए और बाद में सत्तारुढ़ पूर्ववर्ती जनता पार्टी में शामिल हो गए.वह ‘कन्नड़ कावलु समिति’ के पहले अध्यक्ष थे. यह समिति रामकृष्ण हेगड़े के मुख्यमंत्रितव काल में कन्नड़ के आधिकारिक भाषा के तौर पर कार्यान्वयन की निगरानी के लिए बनाई गई थी. बाद में सिद्दरमैया को सेरीकल्चर मंत्री बनाया गया. दो साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में वह फिर निर्वाचित हुए और हेगड़े सरकार में पशुपालन तथा पशु चिकित्सा मंत्री बनाए गए.
सिद्दरमैया वर्ष 1989 और 1999 का विधानसभा चुनाव हार गए थे. वर्ष 2008 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया. 12 अगस्त 1948 को मैसूर जिले के सिद्दरामनहुंडी गांव में जन्मे सिद्दरमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया और फिर इसी विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की डिग्री ली. उनकी पत्नी का नाम पार्वती है और उनके दो पुत्र हैं.