नयी दिल्ली : सीबीआई ने 2005 में कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कथित गड़बडि़यों को लेकर आज उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ मामला दर्ज किया.
कोयला घोटाले में 14वीं प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई की टीमों ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और भुवनेश्वर में करीब छह जगहों पर तलाशी की.
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने ओडि़शा में 10 नवंबर, 2005 को आवंटित किये गये तालाबीरा के दो कोयला ब्लॉकों को लेकर आदित्य बिड़ला समूह और समूह की कंपनी हिंडालको के प्रतिनिधि के तौर पर कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ मामला दर्ज किया.
उन्होंने कहा कि जांच समिति की 25वीं बैठक के दौरान विद्युत उत्पादन के लिए ब्लॉक का आंवटन किया गया था.सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा, सीबीआई तत्कालीन कोयला सचिव, आदित्य बिड़ला समूह की प्रतिनिधि मेसर्स हिंडालको, अज्ञात व्यक्तियों एवं अधिकारियों के खिलाफ एक नया मामला दर्ज करती है.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच समिति की 25वीं बैठक के दौरान विद्युत उत्पादन के लिए ये ब्लॉक आंबटित किए गए थे. सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा, सीबीआई तत्कालीन कोयला सचिव, आदित्य बिड़ला समूह की प्रतिनिधि मेसर्स हिंडालको, अज्ञात व्यक्तियों एवं अधिकारियों के खिलाफ एक ताजा मामला दर्ज करती है. इस बीच, तकरीबन 2.45 लाख करोड़ रुपये के समूह ने कोई प्राथमिकी प्राप्त होने से इनकार किया है. उसने किसी कदाचार के आरापों से भी इनकार किया है.
सीबीआई की कार्रवाई का तुरंत असर हुआ है और हिंडालको के शेयर में सुबह में 1.27 फीसद की गिरावट आई. बिड़ला की कुछ कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं. कोयला ब्लाकों के आबंटन के समय पारेख कोयला सचिव थे. उनपर भ्रष्टाचार निर्मूलन अधिनियम के साथ ही आपराधिक षड़्यंत्र और अन्य अपराधों के आरोप हैं.
सीबीआई को हाल के दिनों में उच्चतम न्यायालय में कष्टदायक सवालों का सामना करना पड़ा है. उच्चतम न्यायालय ने उससे सवाल किया था कि कोई पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाए बिना कोयला क्षेत्रों को क्यों निजी कंपनियों को आबंटित किया गया. उसे जांच की सुस्त रफ्तार और साथ ही गुम हुई फाइलों पर भी सवालों से गुजरना पड़ा.
केंद्र सरकार को कोयला आबंटन से संबंधित फाइलों के गुम होने और सीबीआई से सूचना साझा नहीं करने के मुद्दे पर 29 अगस्त को उच्चतम न्यायालय की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. उच्चतम न्यायालय ने उसे दो हफ्तों के अंदर सीबीआई को संबंधित दस्तावेज सौंप देने का निर्देश दिया था. सीबीआई कुछ अहम कागजात के गायब हो जाने की भी जांच करेगी.
उच्चतम न्यायालय ने गुम दस्तावेजों को कोयला ब्लाक घोटाले की जांच के लिए अहम करार दिया था और कोयला मंत्रालय को निर्देश दिया था कि अगर वह सीबीआई को वांछित फाइलें खोजने में नाकाम रहता है तो वह एजेंसी में शिकायत दायर करे.
उसने यह भी कहा था कि अपनी जांच में सीबीआई अभी तक पहले गियर में है और उसे अपनी जांच की रफ्तार तेज करने की जरुरत है. उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह इस साल दिसंबर पर उन तमाम कंपनियों के खिलाफ जांच पूरी कर ले जिन्हें कोयला ब्लाक आबंटित किए गए हैं.
शीर्ष न्यायालय ने सीबीआई को यह भी निर्देश दिया कि वह 22 अक्तूबर तक इस मुद्दे पर अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे. सीबीआई ने कोयला घोटाले से संबंधित प्राथमिकियों में से एक में कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल और पूर्व कोयला राज्य मंत्री डी नारायण राव को कथित धोखेधड़ी और भ्रष्टाचार में आरोपी बनाया है.
सीबीआई ने जिंदल और राव के अलावा, जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड तथा गगन स्पांज के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं जिन्हें 2008 में झारखंड के बीरभूम में अमरकोंडा मुरुगादंगल कोयला ब्लाक आबंटित किया गया था.
सीबीआई ने दिल्ली आधारित स्टील कंपनी राठी स्टील ऐंड पावर लिमिटेड, उसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदित राठी और अज्ञात अन्य के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. उनपर आरोप है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लाक हासिल करते समय अपनी जमीनों और क्षमता के बारे में कथित रुप से गलत जानकारी दी.