रांची : चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र एवं अन्य को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सजा सुनायी गयी और इसके साथ ही झारखंड में पहली बार कोई फैसला इलेक्ट्रानिक माध्यम से सुनाया गया.
देश की जेलों एवं अदालतों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जोड़ने की योजना शुरु की गयी और इसी के तहत रांची की अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आने वाले समय में देश की करीब 2000 अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी.मुंबई पर 26:11 आतंकी हमला मामले में एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब की मौत की सजा की पुष्टि बंबई उच्च न्यायालय ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये की थी.
झारखंड में वीडियो कांफेंसिंग 23 मई 2012 को शुरु की गयी थी तब 2009 के देवघर बलात्कार मामले की सुनवाई हुई थी.चंडीगढ के बुडैल जेल कांड मामले में भी सुनवाई वीडियो कांफ्रंेसिंग के माध्यम से हुई जिसके लिए तिहाड़ जेल और चंडीगढ़ जिला अदालत में वीडियो लिंग स्थापित किया गया. जहां तक साक्ष्य का सवाल है, उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा कि वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से साक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हैं.
लिवरपुल एंड लंदन स्टीमशिप प्रोटेक्शन एंड इंडेमनिटी एसोसिएशन लिमिटेड बनाम वी एस सी सक्सेस एंड अनोर (2005) मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने वादी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही देने की अनुमति प्रदान की थी क्योंकि गवाह ब्रिटेन में अपने दो छोटे- छोटे बच्चों के साथ रहती थी और भारत आने में असमर्थ थी.
बोडाला मुरली कृष्ण बनाम श्रीमती बोडाला प्रतिमा (2007) मामले में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अमेरिकी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने की अनुमति दी थी.