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एचआरडी मंत्रालय का स्टीफंस छेडछाड विवाद में हस्तक्षेप से इंकार
नयी दिल्ली : सेंट स्टीफंस कालेज के छेडछाड मामले में इसके प्रिंसीपल द्वारा आरोपी को बचाने के प्रयासों के आरोप लगने के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज इस विवाद में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. मंत्रालय ने यह कहते हुए मामले में हस्तक्षेप से इंकार किया कि इस प्रकार के मामलों से […]
नयी दिल्ली : सेंट स्टीफंस कालेज के छेडछाड मामले में इसके प्रिंसीपल द्वारा आरोपी को बचाने के प्रयासों के आरोप लगने के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज इस विवाद में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. मंत्रालय ने यह कहते हुए मामले में हस्तक्षेप से इंकार किया कि इस प्रकार के मामलों से संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार निपटा जाए.
मंत्रालय के अधिकारियों ने हालांकि कहा कि कालेज से कहा गया है कि वह न्याय सुनिश्चित करने के लिए अपनी जांच में तेजी लाए. मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक संस्थान से उम्मीद की जाती है कि उसके यहां यौन उत्पीडन की शिकायतों से निपटने के लिए आंतरिक शिकायत समिति हो. स्टीफंस में मुद्दे से समिति द्वारा निपटा जाए.
सेंट स्टीफंस की एक शोधकर्ता ने 19 जून को पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी कि कालेज के रसायन विभाग के एक प्रोफेसर सतीश कुमार ने उसके साथ कथित रूप से छेडछाड की है. शिकायतकर्ता ने स्टीफंस के प्रिंसीपल वाल्सन थम्पू पर आरोपी को बचाने का आरोप भी लगाया है. साथ ही उसने कहा है कि उसे आपराधिक रूप से डराया धमकाया गया कि यदि वह चाहती है कि उसकी पीएचडी पूरी होने में कोई बाधा या देरी नहीं हो तो उसे कालेज में ही इस मामले को खत्म कर देना चाहिए.
शिकायतकर्ता ने कल कुछ रिकार्डिंग भी सार्वजनिक कीं जिनके बारे में उसका दावा है कि यह उसके, आरोपी तथा प्रिंसीपल के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा है.
कुमार के वकील ने कहा, मेल में या लडकी द्वारा कॉलेज प्राचार्य को भेजी गयी शिकायत में छेडछाड का कोई भी आरोप नहीं लगाया गया था. प्राथमिकी में लगाए गए आरोप झूठे और मनगढंत हैं. कुमार की याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रोफेसर लडकी से छेडछाड या उसका पीछा नहीं कर सकता है, क्योंकि वह 85 प्रतिशत शारीरिक रूप से विकलांग है और एक छडी के सहारे चलता है. हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होने वाले वकील ने कुमार की अग्रिम जमानत का यह कहते हुए विरोध किया कि कल शिकायतकर्ता लडकी ने आरोपी और प्राचार्य के बीच लडकी की उपस्थित में हुई बाचचीत का एक टेप सौंपा है और कुमार इसमें कॉलेज प्रमुख को प्रभावित करते हुए सुनाई पड रहे हैं.
छात्रा ने 19 जून को 40 वर्षीय कुमार के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उसका यौन शोषण किया है और जब मामले की कॉलेज अधिकारियों से रिपोर्ट की गयी, तो कॉलेज के प्राचार्य ने आरोपी को बचाने का प्रयास किया. कुमार के वकील ने यह भी दावा किया कि छात्रा ने कॉलेज प्राचार्य और संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति(आईसीसी) को तीन शिकायतें लिखी थी, जिनमें यौन शोषण की कोई चर्चा नहीं की गई थी.
उन्होंने कहा कि कुमार को अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए और वह सेंट स्टीफंस कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति और दिल्ली पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेंगे. वकील ने तर्क दिया कि कुमार के खिलाफ उनके दोषी होने के बारे में अभी तक कुछ भी नहीं मिला है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए. हरिहरन ने यह भी दलील दी कि उसके मुवक्किल के फरार होने की कोई संभावना नहीं है. हालांकि, कुमार की याचिका का सरकारी वकील और पीडिता के वकील ने इस आधार पर विरोध किया कि सहायक प्रोफेसर के खिलाफ लगाए गये आरोप बहुत गंभीर हैं तथा वह एक महत्वपूर्ण पद पर है.
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