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चारा घोटाला:कैसे हुई थी चाईबासा खजाने से निकासी

नयी दिल्ली : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया, इस मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है: जनवरी, 1996: उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा और ऐसे दस्तावेज जब्त किए जिनसे पता चला कि चारा आपूर्ति […]

नयी दिल्ली : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया, इस मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:

जनवरी, 1996: उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा और ऐसे दस्तावेज जब्त किए जिनसे पता चला कि चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी की गयी. उसके बाद यह चारा घोटाला सामने आया.

11 मार्च, 1996:
पटना उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो :सीबीआई: को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया. उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश पर मुहर लगाई.

27 मार्च, 1996 : सीबीआई ने चाईंबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की.

23 जून, 1997 : सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू प्रसाद को आरोपी बनाया.

30 जुलाई, 1997: राष्ट्रीय जनता दल :राजद: के प्रमुख लालू प्रसाद ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया. अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा.

5 अप्रैल, 2000 : विशेष सीबीआई अदालत में आरोप तय किया.

5 अक्तूबर, 2001 : उच्चतम न्यायालय ने नया राज्य झारखंड बनने के बाद यह मामला वहां स्थानांतरित कर दिया.

फरवरी, 2002 : रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरु हुई.

13 अगस्त, 2013 :उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज की.

17 सितंबर, 2013: विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

30 सितंबर, 2013 : बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र तथा 45 अन्य को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया.

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