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मणिपुर हमला : उग्रवादियों ने अमेरिका निर्मित रॉकेट लांचर से सेना पर किया था हमला, सेना प्रमुख पहुंचे इंफाल
नयी दिल्ली/इंफाल : मणिपुर में गुरुवार को हुए एक उग्रवादी हमले में छह डोगरा रेजीमेंट के 20 जवाान शहीद होने के मामले में इसका जायजा लेने के लिए सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग इंफाल पहुंच गये हैं. उनके साथ ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएल रॉय और जीओसी 3 कोर लेफ्टिनेंट जनरल विपिन भी […]
नयी दिल्ली/इंफाल : मणिपुर में गुरुवार को हुए एक उग्रवादी हमले में छह डोगरा रेजीमेंट के 20 जवाान शहीद होने के मामले में इसका जायजा लेने के लिए सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग इंफाल पहुंच गये हैं. उनके साथ ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएल रॉय और जीओसी 3 कोर लेफ्टिनेंट जनरल विपिन भी वहां पहुंचे हैं. उधर, म्यांमार पर कूटनीतिक दबाव बनाया जा रहा है कि वह उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई करे.. इस हमले को लेकर आज केंद्रीय गृह मंत्रालय एक उच्च स्तरीय बैठक करेगा. मामले की जांच एनआइए को सौंपने की बात भी कही जा रही है.
पूर्वोत्तर में हुए इस भयावह हमले के चीन व म्यांमार लिंक होने के ठोस संकेत हैं. जिस जगह यह हमला हुआ, वह म्यांमार से बमुश्किल 400 किमी दूर है और जिन संगठनों ने हमला किया है, उनकी बैठकें चीन के सीमा क्षेत्र में होती है और वे चीन के हथियार से पोषित होते रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि उग्रवादियों ने अमेरिका निर्मित रॉकेट लांचर से सेना पर हमला किया था. इस हमले को 50 उग्रवादियों ने अंजाम दिया.
हमले की जिम्मेवारी लेने वाले चारों संगठनों का साझा मंच है यूएनएलएफए
इस हमले को चार विभिन्न संगठनों ने अंजाम दिया है, जिसका एक संयुक्त मोर्चा है, जिसे यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ इस्ट एशिया (यूएनएलएफए) के नाम से जाना जाता है. यह नवगठित संगठन अब पूर्वोत्तर भारत में आतंक का नया नाम बन गया है. इसके चार विभिन्न घटकों में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट), नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खपलांग), कामतापुर लिबरेशन ओरगोनाइजेशन (केएलओ) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (सोनगबजीत) शामिल हैं. इन चारों संगठनों ने ही 20 सैनिकों की हत्या की जिम्मेवारी ली है.
हाल में बढ गयी है यूएनएलएफए की सक्रियता, एसएस खपलांग है नेता
हाल के दिनों में यूएनएलएफए की पूर्वोत्तम में उपस्थिति व सक्रियता बढी है. यूएनएलएफए ने पिछले ही महीने नागालैंड के मोन जिले में असम राइफल के सात जवानों का की हत्या का जिम्मेवारी ली थी. इस संगठन का नेतृत्व एसएस खपलांग के पास है. एसएस खपलांग नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खपलांग) का भी प्रमुख है.
इस संगठन का गठन म्यांमार के तागा क्षेत्र में इसी साल अप्रैल में हुआ. यह संगठन एक तरह से पूर्वोत्तर में सभी तरह के संघर्षों को एक साझा मंच मुहैया कराने की कोशिश है. इस संगठन ने अस्तित्व में आने के बाद ही एक के बाद एक दो बडी घटनाओं को अंजाम देकर भाारत सरकार व सुरक्षा बलों को अपनी रणनीति पर सोचने को मजबूर कर दिया है. इस संगठन की स्थापना के बीच 2011 में ही चीन के योनान प्रांत के रूइली में हुई बैठक में पड गये थे. खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस गठजोड में शामिल विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उस बैठक में शामिल हुए थे.
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