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वॉशिंगटन नेवी यार्ड गोलीबारी:अमेरिका में अपने सपनों का जीवन जी रहे थे विष्णु पंडित

वॉशिंगटन : वॉशिंगटन नेवी यार्ड में हुई गोलीबारी में जान गंवाने वाले भारतीय अमेरिकी रक्षा अनुबंधकर्ता विष्णु पंडित के बारे में उनके दोस्तों का कहना है कि पंडित अमेरिका में अपने सपनों का जीवन जी रहे थे. 61 वर्षीय मरीन इंजीनियर और नौसेना के वास्तुविद विष्णु ‘किसन’ पंडित 70 के दशक के मध्य में मुंबई […]

वॉशिंगटन : वॉशिंगटन नेवी यार्ड में हुई गोलीबारी में जान गंवाने वाले भारतीय अमेरिकी रक्षा अनुबंधकर्ता विष्णु पंडित के बारे में उनके दोस्तों का कहना है कि पंडित अमेरिका में अपने सपनों का जीवन जी रहे थे. 61 वर्षीय मरीन इंजीनियर और नौसेना के वास्तुविद विष्णु ‘किसन’ पंडित 70 के दशक के मध्य में मुंबई से अमेरिका आए थे.

जैसे ही वाशिंगटन डीसी के उपनगर मेरीलैंड के पड़ोस में बसे नन्हें भारतीय अमेरिकी समुदाय को वॉशिंगटन नेवी यार्ड में हुई गोलीबारी में पंडित के मारे जाने की सूचना मिली, बड़ी संख्या में उनके मित्र और परिजन नॉर्थ पोटोमैक स्थित उनके आवास पर एकत्र हो गए. पंडित के परिवार ने ‘‘द वॉशिंगटन पोस्ट’’ में एक श्रद्धांजलि संदेश दिया है जिसमें कहा गया है ‘‘अमेरिकी नौसेना से जुड़ कर किसन ने खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस किया था. उन्होंने अमेरिकी नौसेना में बीते 25 साल से अधिक समय से अलग अलग पदों पर अपनी सेवाएं दी थीं.’’

परिवार ने कहा है ‘‘किसन को लगता था कि अमेरिकी नौसेना और अमेरिका को आगे बढ़ाने में विशेष योगदान देना उनके लिए गर्व की बात है.’’साथ ही पंडित के परिवार ने मीडिया से अनुरोध किया है कि दुख की इस घड़ी में वह उनकी निजता का सम्मान करे. पंडित का परिवार हिंदू रीति रिवाजों से रस्में पूरी करना चाहता है. साथ ही उन्होंने लोगों से अनुरोध किया है कि वह फूल देने के बजाय ‘‘वुंडेड वारियर प्रोजेक्ट’’ को, अमेरिकी नौसेना को सहयोग करने वाले किसी परमार्थ संगठन को या फिर ‘‘ह्यूमन सोसायटी ऑफ मोन्टगोमेरी काउंटी’’ को अनुदान दें. वाशिंगटन नेवी यार्ड में सोमवार को हुई गोलीबारी में कथित हमलावर के हाथों मारे गए 12 लोगों में से एक पंडित भी थे.

मुंबई में वर्ष 1951 में जन्मे पंडित के परिवार के सदस्यों ने बताया कि पंडित ने कोलकाता स्थित एक सामुद्रिक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की और फिर परिवार को बेहतर जीवन देने के लिए मिशीगन चले गए. कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्ययन के दिनों से उनके मित्र रहे एम नन्स जैन ने बताया कि पंडित बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे.

जैन ने ‘‘द हफिंगटन पोस्ट’’ को बताया कि उन्हें अमेरिका ले जाने में पंडित की बड़ी भूमिका थी. ‘‘उन्होंने मुङो समझाया कि मैं अमेरिका आउं. मैं बहुत उत्सुक नहीं था लेकिन मैंने उनकी बात मानी और प्रगति के पथ पर बढ़ता गया.’’उन्होंने बताया कि पंडित अमेरिका और उसके मूल्यों में आस्था रखते थे. ‘‘वह अमेरिका में अपने सपनों का जीवन जी रहे थे. बस.. अमेरिका में बंदूकों के प्रसार पर नियंत्रण न हो पाना यहां की व्यवस्था की बहुत बड़ी खामी है.’’वह वर्जीनिया के नोरफोक में परिवहन विभाग के नौवहन प्रशासन के लिए काम करते हैं.पंडित के परिवार में उनके दो पुत्र.. सिद्धेश और कपिल, उनकी पत्नी अंजलि पंडित और एक पोती है.उनके अन्य भारतीय अमेरिकी मित्रों ने बताया कि पंडित गीता सोसायटी के सदस्य थे और पोटोमैक स्थित इस्कॉन मंदिर नियमित जाते थे.

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