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अग्नि-5 का दूसरा परीक्षण,जद में शंघाई,अब डरेगा ड्रैगन

बालेश्वर (ओड़िशा):भारत ने जंग के मैदान में बाजी पलटने की कूवत रखतनेवाले सतह से सतह पर मार करनेवाले देश में विकसित अंतर महाद्वीपीय मिसाइल ‘अग्नि-5’ का ओड़िशा के ह्वीलर द्वीप स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से रविवार को परीक्षण किया. परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम मिसाइल 5000 किमी से अधिक दूरी तक मार कर सकती […]

बालेश्वर (ओड़िशा):भारत ने जंग के मैदान में बाजी पलटने की कूवत रखतनेवाले सतह से सतह पर मार करनेवाले देश में विकसित अंतर महाद्वीपीय मिसाइल ‘अग्नि-5’ का ओड़िशा के ह्वीलर द्वीप स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से रविवार को परीक्षण किया. परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम मिसाइल 5000 किमी से अधिक दूरी तक मार कर सकती है.

डीआरडीओ ने बताया कि तीन चरणवाली ठोस रॉकेट मोटर से लैस मिसाइल का ऑटो मोड में प्रक्षेपण किया गया. इसने पूर्व निर्धारित शैली में समूचे रास्ते का पालन किया और पूर्व निर्धारित चरणों में तीन मोटरों को महासागर में गिराया. मध्य दूरी व लक्ष्य बिंदु पर खड़े जहाजों ने यान पर नजर रखा. जहाज पर स्थित और रास्ते पर जमीनी केंद्रों पर मौजूद राडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणाली ने मिसाइल के प्रदर्शन मानदंडों की निगरानी की, सूचना प्रदर्शित की.

मिसाइल की सभी प्रणालियों और उप प्रणालियों यथा प्रक्षेपण प्रणाली, नौवहन प्रणाली, नियंत्रण प्रणाली, रॉकेट मोटरों और री-इंट्री पैकेज ने अच्छा प्रदर्शन किया. नौवहन प्रणाली, बेहद सटीक रिंग लेजर गाइरो आधारित इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम और सर्वाधिक आधुनिक और सटीक सूक्ष्म नौवहन प्रणाली ने सुनिश्चित किया कि मिसाइल लक्ष्य बिंदु के कुछ मीटर के भीतर बेहद सटीक ढंग से पहुंचे. रक्षा बल के शीर्ष अधिकारी इस दौरान मौजूद थे, ताकि प्रणाली से परिचित हो सकें और प्रशिक्षण ले सकें.

धुआं छोड़ते आसमां में समा गयी

मिसाइल प्रक्षेपण के एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, ‘आइलैंड के लांच पैड से दागे जाने के कुछ सेकेंड के भीतर ही यह मिसाइल खिली हुई धूप के बीच आसमां में समा गयी और अपने पीछे नारंगी और सफेद रंग का धुआं छोड़ती चली गयी.’

क्या हैं विशेषताएं

मारक क्षमता

-1.5 टन विस्फोटक के साथ करेगा हमला

-5000 किमी तक मार करने में सक्षम

-2.5 मी मोटे बंकर की दीवारें भेद देगी

प्रक्षेपण
-सड़क किनारे मोबाइल लांचर से इसे प्रक्षेपित कर सकते हैं. छोटे सैटेलाइट्स की लांचिंग के लिए भी इसे तैयार किया जा सकता है. दुश्मन के रडार भी इसकी उपस्थिति का पता नहीं लगा सकते.

रख-रखाव आसान

-अग्नि-5 के निर्माण में ठोस ईंधन का इस्तेमाल हुआ है. सो रख-रखाव की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होगी.

रोक पाना मुश्किल
-प्रक्षेपित होने के बाद मिसाइल को रोकना असंभव है. यह अपने दुश्मन को खत्म करके ही मानेगा.

सबसे अलग, सबसे आधुनिक संस्करण

अग्नि श्रृंखला की दूसरी स्वदेशी मिसाइलों से अलग अग्नि-5 सबसे आधुनिक संस्करण है. इसमें नौवहन एवं पथ-प्रदर्शन, हथियार तथा इंजन के संदर्भ में कुछ नयी तकनीकों को जोड़ा गया है. अग्नि-5 के पहले परीक्षण में कई स्वदेशी नयी तकनीकों का सफल परीक्षण किया गया था. ‘इनरट्रायल नेवीगेशन सिस्टम’ पर आधारित ‘रिंग लेजर गायरो’ व सबसे आधुनिक एवं उपयुक्त सूक्ष्म नौवहन प्रणाली ने मिसाइल का कुछ मिनटों के भीतर ही लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित किया है.

डीआरडीओ के वैज्ञानिक इस उपलब्धि के लिए बधाई के पात्र हैं. उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है.

एके एंटनी, रक्षा मंत्री

एक बड़ा ऐतिहासिक क्षण. अग्नि-5 का दूसरा परीक्षण उसकी परिपक्वता, बारंबारता और प्रणाली की मजबूती इसके निर्माण और उसे सेना में शामिल करने का रास्ता साफ करेगा.
डीआरडीओ

यह घटना भारत की लंबी दूरी की मिसाइल युग में मील का पत्थर है.
शिव शंकर मेनन,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

2015 में सेना में होगी शामिल
अग्नि-5 के तीन या चार परीक्षण होंगे. 2015 तक सेना में शामिल होने के बाद यह भारत की परमाणु क्षमता कई गुना बढ़ेगी.

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