नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. यह याचिका सीआईसी के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी जिसमें सीआईसी ने डीईआरसी से शुल्क निर्धारण पर जनता की राय लेना तब तक स्थगित करने को कहा था जब तक कि आयोग इसपर फैसला नहीं कर लेता.
सीआईसी ने कार्यकर्ता अनिल सूद द्वारा दायर शिकायत को विचारार्थ स्वीकार कर लिया जिन्होंने आरोप लगाया कि डीईआरसी ने आवश्यक सूचना सार्वजनिक दायरे में नहीं डाली है और दावा किया कि यह आरटीआई अधिनियम के तहत अनिवार्य खुलासे के प्रावधान का उल्लंघन है. गौरतलब है कि डीईआरसी ने शुल्क निर्धारण पर लोगों की राय मांगी थी.
डीईआरसी ने 17 अप्रैल को शुल्क निर्धारण पर जनता की राय आमंत्रित की थी. शिकायत मिलने के बाद सीआईसी ने तब तक इसे टालने का आदेश दिया था जब तक कि आयोग इसपर फैसला नहीं कर लेता. नियामक निकाय ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू द्वारा जारी आदेशों पर राहत मांगी लेकिन उच्च न्यायालय ने कोई राहत नहीं दी.
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में पक्षकार और वकील छह मई 2015 को सीआईसी के सामने उपस्थित होंगे. सीआईसी आठ मई 2015 या उससे पहले सुनवाई पूरी कर लेगी. (डीईआरसी का प्रतिनिधित्व कर रहे) श्री मल्होत्रा ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस बीच में सार्वजनिक सुनवाई पर तारीख मुल्तवी की जाएगी.’’